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दूरसंचार क्षेत्र में ऑटोमेटिक रूट से सौ प्रतिशत विदेशी निवेश की छूट

केंद्र सरकार ने बदहाली से जूझ रहे दूरसंचार क्षेत्र के लिए कई रियायतों का एलान किया है। 

सरकार ने एक बेहद अहम फ़ैसले में दूरसंचार क्षेत्र में ऑटोमेटिक रूट से सौ प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति दे दी है। ऑटोमेटिक रूट से निवेश का मतलब यह है कि इसके लिए केंद्र सरकार या रिज़र्व बैंक से पूर्व अनुमति की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। 

इस फ़ैसले को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। 

दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैश्नव ने इसका एलान किया। उन्होंने इसके साथ ही दूरसंचार क्षेत्र से जुड़ी दूसरे कई घोषणाएँ भी की हैं। 

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स्पेक्ट्रम फ़ीस 

इनमें सबसे अहम है स्पेक्ट्रम फ़ीस के बकाया के भुगतान के लिए चार साल का समय मिलना। इस फ़ीस के रूप में ही इन कंपनियों पर हज़ारों करोड़ रुपए का बकाया है। 

अब दूरसंचार कंपनियों के पास यह विकल्प है कि वे स्पेक्ट्रम फ़ीस और उस बकाए पर लगने वाले ब्याज की कुल रकम चार साल बाद चुकाएं। 

मंत्री ने यह भी कहा कि स्पेक्ट्रम यूज शुल्क को ठीक किया जाएगा। इसके साथ ही यह फ़ैसला भी किया गया है कि नॉन- टेलीकॉम बकाए को टेलीकॉम बकाए से अलग कर दिया जाएगा और और उस पर जुर्माना नहीं लगाया जाएगा। 

indian economy : foreign investment through automatic route in telecom sector - Satya Hindi

स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल का समय भी बढ़ा कर 20 से 30 साल कर दिया गया है। 

वैष्णव ने कहा कि इन रियायतों से विदेशी पूंजी निवेश बढ़ेगा और रोज़गार के नए मौके बनेंगे। 

विदेशी पूंजी निवेश का यह नियम दूरसंचार के सभी क्षेत्रों में लागू होगा, उत्पादन में भी इसके जरिए निवेश किया जा सकेगा। 

अब तक यह व्यवस्था थी कि ऑटोमेटिक रूट से 49 प्रतिशत निवेश की छूट थी, बाकी के लिए सरकार से अनुमति लेनी होती थी। 

दूरसंचार मंत्री ने कहा कि इससे अब बीएसएनएल और एमटीएनएल समेत सभी टेलीकॉम कंपनियाँ भारत में बने दूरसंचार उपकरणों का इस्तेमाल कर सकेंगी। उन्होंने कहा,

हम देश में बने दूरसंचार उपकरणों का घरेलू इस्तेमाल तो करेंगे ही, निर्यात भी कर सकेंगे।


अश्विनी वैष्णव, दूरसंचार मंत्री

अब तक भारतीय कंपनियों को 3-जी और 4-जी प्रौद्योगिकी और उससे जुड़े उपकरण खरीदने पड़ते हैं। 

बता दें कि दूरसंचार आयोग के पास साल 2017 से ऑटोमेटिक रूट से सौ प्रतिशत विदेशी निवेश की छूट देने का प्रस्ताव पड़ा हुआ था। 

सरकार ने यह भी कहा है कि पाकिस्तान और चीन की कंपनियाँ इस ऑटोमेटिक रूट से सौ प्रतिशत निवेश नहीं कर सकेंगी।

नियम में बदलाव

केंद्र सरकार ने अप्रैल 2020 में ही नियमों में बदलाव कर यह प्रावधान कर दिया था कि जिन देशों की सीमाएं भारत से मिलती हैं, वहाँ की कंपनियाँ भारत में ऑटोमेटिक रूट से पूंजी निवेश नहीं कर सकती हैं।

बता दें कि यह वह समय था जब चीनी सेना ने लद्दाख में घुसपैठ की थी और दोनों देशों के बीच रिश्ते बहुत ही अधिक तनावपूर्ण थे। समझा जाता है कि चीनी कंपनियों को बाहर रखने के लिए यह नियम बनाया गया था। 

लेकिन इन देशों की कंपनियों को यह छूट थी कि वे भारत सरकार से अनुमति ले कर निवेश करें। 

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क़मर वहीद नक़वी
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