वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के लिए ज़ूम की तर्ज पर देसी ऐप बनाने की तैयारी चल रही है। यह प्रयास सरकार के स्तर पर चल रहा है। सरकार ने पहले चरण में 10 ऐसी कंपनियों को शॉर्टलिस्ट किया है जो मेड-इन-इंडिया वीडियो कॉन्फ़्रेंस ऐप तैयार करेंगे। इन कंपनियों के सामने चुनौती होगी कि वे वैश्विक स्तर पर ज़ूम जैसी ऐप के आमने-सामने होंगी और उस तरह की प्रतियोगी ऐप तैयार करनी होगी।
'इकोनॉमिक टाइम्स' ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि सरकार इन 10 कंपनियों में से प्रत्येक को 5-5 लाख रुपये देगी ताकि वे इस ऐप के लिए प्रोटोटाइप तैयार कर सकें। फिर इन 10 कंपनियों में से 3 को पूरी ऐप तैयार करने के लिए चुना जाएगा और उनमें से प्रत्येक को 20-20 लाख रुपये दिए जाएँगे। इसमें से एक कंपनी को केंद्र और राज्य सरकार के लिए उस ऐप को पूरी तरह तैयार कर देने की पूरी ज़िम्मदारी दी जाएगी।
जिस कंपनी को यह ज़िम्मा दिया जाएगा वह चार साल तक सेवा देगी और पहले साल के लिए 1 करोड़ रुपये दिए जाएँगे और बाक़ी के तीन साल के लिए संचालन और रखरखाव के लिए हर साल 10-10 लाख रुपये दिए जाएँगे।
ईटी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि एचसीएल टेक्नोलॉजीज, क्लाउड सर्विसेज फ़र्म ज़ोहो कॉर्प, हैदराबाद आधारित पीपल लिंक, आरिया टेलिकॉम, साइबर हॉरिजॉन कॉर्प, दर्श, इंस्ट्राइव सॉफ़्टलैब्स, पीपल लिंक एकीकृत संचार और डेटा इनजीनियस उन दस कंपनियों में से हैं जिन्हें इसके लिए चुना गया है।
ईटी के अनुसार, डेटा समूह के प्रमुख अजय डेटा ने कहा कि भारत में ज़्यादा सॉफ्टवेयर उत्पाद नहीं हैं जो विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं, हालाँकि कई सेवा कंपनियां हैं जो बहुत लोकप्रिय हो गई हैं।
माना जा रहा है कि सरकार के स्तर पर वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के लिए देश में ऐसी ऐप की ज़रूरत इसलिए महसूस हुई क्योंकि डाटा की सुरक्षा काफ़ी अहम मुद्दा है। देसी ऐप बनाने का एक मक़सद यह है कि इसका डाटा देश में ही स्टोर किया जाएगा। यह डाटा की सुरक्षा के लिहाज़ से महत्वपूर्ण माना जाता है।
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