सरकार ने ऑटोमैटिक रूट से होने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किया है, जिसके बड़े दूरगामी नीतेजे हो सकते हैं। नए नियमों के मुताबिक़, पड़ोसी देशों के नागरिकों के स्वामित्व वाली कंपनियाँ भारत की किसी कंपनी में ऑटोमैटिक अप्रूवल रूट से पैसे निवेश नहीं कर सकेंगी। इसके लिए उन्हें सामान्य प्रक्रिया से जाना होगा, जिसमें सरकार की स्वीकृति ज़रूरी होगी।
इसमें अब यह कहा गया है कि जिन देशों की सीमाएं भारत से मिलती है, उन देशों के नागरिकों पर भी यह नियम लागू होगा।
चीन से परहेज?
इसमें यह व्यवस्था भी की गई है कि हॉगकॉग, ताइवान या सिंगापुर में रहे वाले चीनी नागरिक भी भारतीय कंपनियों में बग़ैर सरकारी स्वीकृति के निवेश न कर सकें।
कुछ दिन पहले ही कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की थी कि संकट के इस समय में घरेलू कंपनियों को विदेशी कंपनियों के अधिग्रहण से बचाने की ज़रूरत है।
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