क्या सत्ताधारी बीजेपी और उससे जुड़ी संस्थाओं की कोई स्पष्ट अर्थनीति नहीं है? क्या वे इस पर बुरी तरह कंफ़्यूज़्ड हैं और किसी को कुछ पता नहीं कि देश या सरकार की क्या नीति होनी चाहिए? क्या राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व की अपनी अलग और संकीर्ण व्याख्या करने वाला आएसएस अर्थनीति से जुड़े फ़ैसले भी उसी चश्मे से देख कर करता है?