अडानी समूह पर देश भर के संस्थानों की नजरें टिकी हुई हैं। सब उसकी अलग-अलग जांच
कर रहे हैं। अडानी समूह को दिये गये कर्जों पर करीब से नजर रख रहे रिजर्व बैंक ऑफ
इंडिया ने अब बैंकों को निर्देश जारी किया है कि जिन बैंकों ने समूह को कर्ज दिया
है वे हर हफ्ते केंद्रीय बैंक को रिपोर्ट दें। पिछले महीने केंद्रीय बैंक ने, बैंको
निर्देश दिया था कि जिन बैंकों ने अडानी समूह को कर्ज दिया है वे उसका विवरण दें।
केंद्रीय बैंक के यह निर्देश हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद आए हैं।
नाम न छापने की शर्त पर रिजर्व बैंक के एक अधिकारी ने बिजनेस अखबार द मिंट को
बताया कि बैंक की निगरानी समिती के सीनियर अधिकारी ने बैंको द्वारा अडानी समूह को दिए
गये कर्जों की हर हफ्ते रिपोर्ट मांगी है। यह बड़े कर्जों की क्रेडिट डेटाबेस पर दी गई जानकारी के मासिक जानकारी के अलावा
है।
केंद्रीय बैंक द्वारा मांगी गई इस जानकारी का उद्देश्य इस बात की लगातार
निगरानी करना है कि ऋण लेने वालों के बैंको की उधारी चुकाने में उनके व्यवहार को परखा
जा सके, और इसकी जानकारी रखी जा सके की इससे बैंकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
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हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद अडानी समूह को बड़ा झटका लगा है। इसके
शेयरों के दाम गिरते जा रहे हैं, जिससे समूह के बाजार हिस्सेदारी में कमी होती जा
रही है। गौतम अडानी को व्यक्तिगत तौर पर भी इसका बहुत नुकसान उठाना पड़ा है। रिपोर्ट
आने के पहले वह दुनिया के शीर्ष अमीरों में से थे, आज वह शीर्ष तीस की सूची से भी
बाहर हो चुके हैं।
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हालांकि अडानी समूह ने अपने ऊपर लग रहे इन आरोपों से इंकार किया था। 24 जनवरी
को आई रिपोर्ट के बाद से समूह को 140 बिलियन डॉलर की संपत्ति गंवा चुका है।
24 जनवरी
को आई हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अडानी समहू ने कपंनियों
के शेयरों में जानबूझकर बढ़ोत्तरी की हुई है, रिपोर्ट में इसके अलावा अकाउंटिग फ्रॉड
के भी आरोप लगाए गये थे। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि समूह के शेयरों की जो वैल्यू
है वो 85 फीसदी तक ज्यादा है। रिपोर्ट आने के एक महीने के बाद उसका दावा सही
प्रतीत हो रहा है, क्योंकि समूह की कई कंपनियों के शेयर इतने ही गिर चुके हैं। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह अब तक लगभग 12
लाख करोड़ रुपये की संपत्ति गंवा चुका है।
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