अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 2019 में आया था। जिसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मसजिद की जमीन राम मंदिर बनाने के लिए हिन्दू पक्ष को दी थी। कोर्ट ने यह भी कहा था कि वहां मंदिर नहीं था और न किसी मंदिर को तोड़कर मसजिद बनाई गई। लेकिन ये करोड़ों लोगों की भावना है कि वहां राम जन्मभूमि है तो यह जमीन उन्हें दी जाती है। अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरी संवैधानिक बेंच की सहमति से आया था, जिसमें मुस्लिम जज भी थे। इस फैसले के फौरन बाद भाजपा और आरएसएस ने साफ कर दिया था कि अब उनके एजेंडे पर और कोई मसजिद या मुस्लिम धार्मिक स्थल नहीं है। इस संबंध में इंडियन एक्सप्रेस की इस रिपोर्ट को पढ़ा जा सकता है, जिसमें भाजपा और संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयानों को कोट किया गया है। भाजपा और संघ प्रमुख का बयान सिर्फ एक जगह नहीं, सभी मीडिया में था। 9 नवंबर को द प्रिंट की इस खबर में मोहन भागवत का बयान दिया गया है, जिसका शीर्षक है- RSS won’t push Varanasi, Mathura mosque issues after Ayodhya verdict, says Mohan Bhagwat