राष्ट्रपति चुनाव में कुछ विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने सोमवार को नामांकन दाखिल कर दिया। सिन्हा के नामांकन दाखिल करते वक्त कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, एनसीपी मुखिया शरद पवार, आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव, राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी, सपा नेता रामगोपाल यादव, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित तमाम विपक्षी नेता मौजूद रहे।
कुछ दिन पहले ही एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित एनडीए के दलों के नेताओं की अगुवाई में नामांकन दाखिल किया था।
अब यह तय हो गया है कि राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा आमने-सामने होंगे।
कौन हैं यशवंत सिन्हा?
द्रौपदी मुर्मू के सामने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा अटल बिहारी वाजपेयी और चंद्रशेखर की सरकारों में मंत्री रहे हैं। यशवंत सिन्हा मूल रूप से पटना के रहने वाले हैं और उनका लगभग 4 दशक का राजनीतिक करियर रहा है। यशवंत सिन्हा आईएएस अफसर रहे हैं और जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से प्रभावित होकर उन्होंने प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़ दी थी और 1984 में जनता पार्टी में शामिल होकर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी।
यशवंत सिन्हा को 1984 में जनता पार्टी ने झारखंड की हजारीबाग सीट से उम्मीदवार बनाया था लेकिन वह तीसरे नंबर पर आए थे। 1986 में जनता पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया और 1988 में वह पहली बार राज्यसभा पहुंचे। 1989 में जनता दल का गठन होने के बाद यशवंत सिन्हा को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया।
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जनता पार्टी को 1989 के आम चुनाव में 143 सीटों पर जीत मिली थी और उसने वीपी सिंह के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनाई थी। इस सरकार को बीजेपी और वाम दलों ने भी समर्थन दिया था। अपनी ऑटोबायोग्राफी में यशवंत सिन्हा ने इस बात को कहा है कि वीपी सिंह ने उन्हें उस सरकार में मंत्री बनने का ऑफर दिया था लेकिन उन्होंने मंत्री बनने से इनकार कर दिया था।
साल 1990 में बनी जनता दल की चंद्रशेखर सरकार के वक़्त देश के आर्थिक हालात खराब हो चुके थे। यशवंत सिन्हा को इस सरकार में वित्त मंत्री बनाया गया था। 1996 में यशवंत सिन्हा बीजेपी में आ गए और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने।
आडवाणी के करीबियों में शुमार
यशवंत सिन्हा को बीजेपी में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के करीबियों में शुमार किया जाता रहा। 1999 में बनी बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में यशवंत सिन्हा को वित्त मंत्री बनाया गया। एनडीए को 2004 के लोकसभा चुनाव में हार मिली थी और यशवंत सिन्हा भी हजारीबाग सीट से चुनाव हार गए थे।
लेकिन बीजेपी ने यशवंत सिन्हा को प्रमोट करते हुए उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया और साल 2009 के लोकसभा चुनाव में वह हजारीबाग सीट से चुनाव जीते।
2021 में यशवंत सिन्हा ने तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन कर ली और उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया। यशवंत सिन्हा बीते कई सालों में मोदी सरकार के कई फैसलों की खुलकर आलोचना करते रहे हैं।
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