उमर खालिद, जिन्हें मार्च 2020 में दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में "देशद्रोह का खलीफा" बताया गया था, ने इस सप्ताह आतंकवाद के आरोप में जेल में अपने पांचवें वर्ष में प्रवेश किया। 37 साल के पूर्व जेएनयू छात्र के खिलाफ 40 पेज की चार्जशीट की पहली लाइन शुरू होती है- “देशद्रोह के एक खलीफा की इस जांच से यह स्थापित हो गया है कि आरोपी उमर खालिद ने 2016 से कितनी दूर तक यह यात्रा की है…।” खालिद के खिलाफ इस मामले के मूल में यह है कि "आतंकवादी कृत्य" क्या है, लेकिन इसे तय कौन कर रहा है, उस पर गौर कीजिए।
उमर खालिद का जेल में 5वां साल शुरू लेकिन 'आतंकवाद' का आरोप साबित नहीं
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- 14 Sep, 2024
जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को जेल में चार साल पूरे हो चुके हैं। लेकिन पुलिस उनके आतंकवादी होने का सबूत अभी तक पेश नहीं कर पाई है जिससे अदालत भी उन्हें आतंकी मानकर सजा सुना दे। उमर खालिद पर आरोप है कि उन्होंने चक्का जाम का आह्वान किया था, यह देशद्रोह है। अदालत ने अभी तक सरकारी पक्ष की कहानी पर सवाल नहीं उठाया। पुलिस के गवाह कौन हैं, उन्हें गुप्त रखा गया है। इस केस में तारीख दर तारीख लग रही है, लेकिन फैसला कोई नहीं है। भारतीय न्यायपालिका की साख के तराजू पर एक और मामला।
