पिछले दस वर्षों के दौरान राज्यपाल अपनी संवैधानिक मर्यादाओं को लांघते दिखे हैं। हाल में यह प्रवृत्ति केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में प्रमुखता से देखी गई है। तमिलनाडु और केरल के मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय को दखल देना पड़ा ताकि राज्य में प्रशासन सुचारू रूप से चल सके लेकिन पश्चिम बंगाल के राज्यपाल द्वारा उठाया गया यह कदम बेहद चौंकाने और डराने वाला है। 12 सितंबर को पश्चिम बंगाल के राजभवन से एक बयान जारी किया गया। इसमें कहा गया कि "ममता बनर्जी के खिलाफ बढ़ते जन विरोध और लोगों को न्याय देने में सरकार की निष्क्रियता और संवैधानिक मर्यादाओं के खुले उल्लंघन को देखते हुए, बंगाल के राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस ने आज ममता बनर्जी के सामाजिक बहिष्कार की घोषणा की है।"