शुक्रवार, 9 अगस्त को संसद के दोनो सदनों का सत्रावसान हो गया। संसद को सूचित किया गया कि यह सत्र अपनी ‘उत्पादकता’ के लिहाज से बेहतरीन सत्र रहा। जहां लोकसभा की उत्पादकता 136% रही वहीं राज्यसभा की उत्पादकता 118% रही। संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि- ऐसा सालों बाद हुआ है जब किसी सत्र का एक भी दिन पूरी तरह खराब नहीं गया। तथ्यात्मक रूप से भले ही मंत्री सही हों लेकिन यह सत्र संसदीय लोकतंत्र की परंपराओं को निभाने में असफल रहा है। शुक्रवार का दिन संसदीय इतिहास में बेहतर संवाद के लिए नहीं याद किया जाएगा। जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल ‘पीठ’ के द्वारा किया गया है उसकी आलोचना आवश्यक है।
धनखड़ और लोकतंत्रः विपक्षी दल ही नहीं देश के लोग भी विचार करें
- विश्लेषण
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- 29 Mar, 2025

संसद सत्र का समापन हो गया है। लेकिन राज्यसभा में इस बार जो हुआ है, उसने भारतीय लोकतंत्र के सामने गंभीर मुद्दा पेश कर दिया है कि क्या सभापति जगदीप धनखड़ का व्यवहार सदन की गरिमा के अनुकूल है। धनखड़ हर सत्र में विपक्षी सांसदों से जो बर्ताव कर रहे हैं उससे सदन की पुरानी परंपरायें तार-तार हो रही हैं। पत्रकार कुणाल पाठक की टिप्पणीः