मैलकम एक्स, कहा करते थे कि “शिक्षा भविष्य का पासपोर्ट है”, लेकिन केन्द्रीय बजट 2024-25 और परीक्षाओं को लेकर मोदी सरकार और न्यायालयों के रवैये से लग रहा है कि भारत में छात्रों के ‘पासपोर्ट’ बड़े संख्या में रद्द किए जा रहे हैं। शिक्षा और परीक्षा को लेकर केंद्र सरकार की गंभीरता संदिग्ध है। केंद्र में बैठी मोदी सरकार ने 2024-25 के शिक्षा बजट में पिछले साल की अपेक्षा 7% से अधिक की कटौती कर दी है इसके अतिरिक्त उच्च शिक्षा के बजट में 16% से अधिक की कटौती कर दी गई है। विश्वविद्यालयी शिक्षा के लिए जिम्मेदार संस्था विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के बजट में 60% से अधिक की कटौती की जा चुकी है। जिस देश में 10-19 वर्ष के 25 करोड़ युवा रह रहे हों, वहाँ शिक्षा के बजट को एक रुपए भी कम नहीं किया जा सकता। मोदी सरकार ने शिक्षा का बजट नहीं कम किया है, वास्तव में उसने ‘भारत के भविष्य’ का बजट कम कर दिया है। शिक्षा को लेकर ऐसी उदासीनता ‘अपराध’ के दायरे में आनी चाहिए।