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216 करोड़ नहीं, 135 करोड़ ही वैक्सीन उपलब्ध करा पाएगी सरकार!

केंद्र सरकार ने एक महीने पहले अगस्त से दिसंबर तक 216 करोड़ वैक्सीन उपलब्ध कराने का दावा किया था लेकिन अब इसका कहना है कि वह 135 करोड़ वैक्सीन ही उपलब्ध करा पाएगी। इसने वैक्सीन उपलब्ध कराने के आँकड़ों को संशोधित कर सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दिया है। केंद्र ने यह हलफ़नामा उस मामले में दिया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने टीकाकरण अभियान को लेकर सवाल उठाए थे।

सरकार का यह संशोधित आँकड़ा तब आया है जब पिछले दिनों अगस्त-दिसंबर तक सरकार के 216 करोड़ वैक्सीन उपलब्ध कराने के दावे पर सवाल उठे थे। सरकार ने ये दावे तब किए थे जब देश में वैक्सीन की काफ़ी कमी थी और कोरोना की दूसरी लहर तबाही मचा रही थी। पिछले दिनों वैक्सीन नीति को लेकर सरकार की जबरदस्त आलोचना होती रही थी। दिल्ली के हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक ने इसके लिए केंद्र सरकार की तीखी आलोचना की थी। सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीन नीति पर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा था।

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इसी बीच सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नाम दायर किया है। 376 पेज के हलफनामे में सरकार ने संशोधित वैक्सीन का आँकड़ा पेश किया है। इसने कहा है कि देश में 18 साल से ऊपर के 93-94 करोड़ लोग हैं। यानी इन्हें वैक्सीन की दोनों खुराक लगाने के लिए कुल मिलाकर 186 से लेकर 188 करोड़ वैक्सीन खुराक चाहिए होगी। सरकार ने कहा है कि इस साल 31 जुलाई तक 51.6 करोड़ खुराक लगाई जा चुकी होगी। इसका मतलब है कि देश को 135 करोड़ वैक्सीन की ज़रूरत होगी। 

इसी के आधार पर सरकार ने संशोधित वैक्सीन का आँकड़ा पेश किया है। रिपोर्ट के अनुसार अब कोविशील्ड की 50 करोड़, कोवैक्सीन की 40 करोड़, बायोलॉजिकल ई सब यूनिट वैक्सीन की 30 करोड़, ज़ायडस कैडिला डीएनए वैक्सीन की 5 करोड़ और स्पुतनिक वी वैक्सीन 10 करोड़ खुराक उपलब्ध होगी। 

सरकार ने मई महीने में जो वैक्सीन उपलब्ध होने के दावे किए थे उससे क़रीब 81 करोड़ खुराक कम हैं।

केंद्र सरकार के पिछले दावे के अनुसार कोविशील्ड की 75 करोड़, कोवैक्सीन की 55 करोड़, बायो ई सब यूनिट वैक्सीन की 30 करोड़, जायडस कैडिला डीएनए वैक्सीन की 5 करोड़, सीरम इंस्टीट्यूट- नोवावैक्स की 20 करोड़, बीबी नेजल वैक्सीन की 10 करोड़, जिनोवा वैक्सीन की 6 करोड़ और स्पुतनिक वी वैक्सीन की 15.6 करोड़ खुराक उपलब्ध होनी थी।

मई महीने में सरकार ने जिन कंपनियों की वैक्सीन की उपलब्धता बताई थी उनमें से 3 कंपनियों की वैक्सीन को इस बार शामिल भी नहीं किया गया है। ये कंपनियाँ और इसकी वैक्सीन की खुराक- सीरम इंस्टीट्यूट- नोवावैक्स की 20 करोड़, बीबी नेजल वैक्सीन 10 करोड़ और जिनोवा वैक्सीन 6 करोड़ हैं। इनके अलावा जिन पाँच कंपनियों की वैक्सीन उपलब्ध होगी उनकी खुराकों में भी कटौती की गई है।

बता दें कि इसका संदेह पहले से ही था कि सरकार इतनी वैक्सीन कैसे उपलब्ध कराएगी जबकि उन कंपनियों की वैक्सीन निर्माण की क्षमता उतनी है ही नहीं। 

सीरम इंस्टीट्यूट के बारे में कहा गया था कि पाँच महीने में वह 75 करोड़ वैक्सीन उपलब्ध कराएगा। इस हिसाब से 15 करोड़ खुराक हर महीने यानी क़रीब 50 लाख खुराक प्रति दिन हुई। लेकिन क्या सीरम इंस्टीट्यूट इतनी खुराक बना पाएगा?

पहले सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि सीरम इंस्टीट्यूट के पास 6.5 करोड़ खुराक हर महीने तैयार करने की क्षमता है और बाद में वह इसे और बढ़ाएगा। 'लाइव मिंट' ने पीटीआई के हवाले से लिखा है कि सीरम इंस्टीट्यूट अगस्त महीने तक 10 करोड़ हर महीने वैक्सीन बनाने की क्षमता हासिल कर लेगा। इसका मतलब है कि कंपनी तेज़ी लाने के बाद भी हर रोज़ 33.33 लाख खुराक तैयार कर पाएगी। तो सवाल उठा था कि यह अगस्त-दिसंबर के बीच पाँच महीने में 75 करोड़ खुराक कैसे तैयार करेगी?

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सरकार के पहले के दावे के अनुसार भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की अगस्त से दिसंबर तक पाँच महीने में 55 करोड़ खुराक उपलब्ध होनी थी। इसका मतलब था कि इसके लिए कंपनी को हर महीने 11 करोड़ खुराक यानी हर रोज़ क़रीब 36.6 लाख खुराक तैयार करनी होगी। पहले सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने कहा था कि भारत बायोटेक अपनी निर्माण क्षमता जुलाई तक बढ़ाकर 5.5 करोड़ खुराक हर महीने यानी क़रीब 18 लाख खुराक हर रोज़ करने वाली है।

जाहिर है सरकार द्वारा कही गई बात के अनुसार यह क़रीब 36 लाख खुराक हर रोज़ तैयार करने के लक्ष्य से काफ़ी कम था। इसी तरह से दूसरी कंपनियों की वैक्सीन के बारे में रिपोर्ट आई थी। कुछ कंपनियों की वैक्सीन को तो अभी आपात इस्तेमाल की मंजूरी भी नहीं मिली है। इसलिए भी सवाल उठे थे। तो क्या सरकार ने अब पहले से 81 करोड़ वैक्सीन कम उपलब्ध होने की बात इसी आधार पर मानी है?
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क़मर वहीद नक़वी
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