गीता कोड़ा
बीजेपी - जगन्नाथपुर
पीछे
गीता कोड़ा
बीजेपी - जगन्नाथपुर
पीछे
बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार
आगे
डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराध की नई चुनौती है। सरकारी डेटा बता रहा है कि इस साल जनवरी से अप्रैल तक भारतीयों को "डिजिटल अरेस्ट" धोखाधड़ी में 120.30 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रविवार को वीडियो भी आया था। इस धोखाधड़ी को अंजाम देने वालों में से कई तीन निकटवर्ती दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों: म्यांमार, लाओस और कंबोडिया में हैं। गृह मंत्रालय (एमएचए) भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के जरिये केंद्रीय स्तर पर साइबर अपराध की निगरानी करता है। उसने कहा कि डिजिटल अरेस्ट हाल ही में डिजिटल धोखाधड़ी का एक आम तरीका बन गया है।
जनवरी से अप्रैल तक के डेटा विश्लेषण में, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने पाया कि इस अवधि में दर्ज की गई 46% साइबर धोखाधड़ी, जिसमें पीड़ितों को कुल मिलाकर अनुमानित 1,776 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, इन्हीं तीन देशों (म्यांमार, लाओस और कंबोडिया) से इस अपराध को संचालित किया गया।
राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) डेटा से पता चलता है कि इस साल 1 जनवरी से 30 अप्रैल के बीच 7.4 लाख शिकायतें आईं, जबकि पूरे 2023 में 15.56 लाख शिकायतें प्राप्त हुईं थीं। 2022 में कुल 9.66 लाख शिकायतें दर्ज की गईं थीं, जो पिछले वर्ष से 4.52 लाख से अधिक थीं।
I4C के अनुसार, घोटाले चार प्रकार के होते हैं - डिजिटल अरेस्ट, ट्रेडिंग घोटाला, निवेश घोटाला (कार्य आधारित) और रोमांस/डेटिंग घोटाला। मुख्य कार्यकारी अधिकारी (I4C) राजेश कुमार ने बताया कि "हमने पाया कि भारतीयों को डिजिटल अरेस्ट में 120.30 करोड़ रुपये, ट्रेडिंग घोटाले में 1,420.48 करोड़ रुपये, निवेश घोटाले में 222.58 करोड़ रुपये और रोमांस/डेटिंग घोटाले में 13.23 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।" यह डेटा जनवरी से अप्रैल तक है। यह डेटा मई में जुटाया गया था।
एक बार टारगेट सेट करने के बाद अपराधी आपको स्काइप या किसी अन्य वीडियो कॉलिंग सिस्टम से आपसे संपर्क किया जाएगा। वे खुद को कानूनी अधिकारी, पुलिस या किसी जांच एजेंसी के अधिकारी के रूप में पेश करेंगे। अक्सर वो सरकारी वर्दी में दिखेंगे। वीडियो कॉल में आप उन्हें पुलिस स्टेशन या सरकारी कार्यालय जैसी जगह में बैठे दिखेंगे। ताकि आपको विश्वास हो जाये। आपसे वो "समझौता" करने या "मामले को बंद करने" के लिए पैसे मांगेंगे। लेकिन पैसे की मांग तभी होगी, जब आप पूरी तरह से डर चुके होंगे, उनसे मिन्नतें कर रहे होंगे।
I4C ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के डेटा और कुछ ओपन-सोर्स जानकारी का विश्लेषण करने के बाद पाया कि ज्यादातर फोन कॉल म्यांमार, लाओस और कंबोडिया से की जा रही हैं। या फिर वहां से वीपीएन के जरिये भारत में ही बैठकर इसे अंजाम दिया जा रहा है।
I4C के राजेश कुमार ने कहा, "ऐसे फ्रॉड को अंजाम देने वाले इन देशों में बैठे हैं। लेकिन वे भारतीयों लोगों को भी फर्जी रोजगार के अवसरों में फंसा कर उन्हें भी ऐसे अपराधों में शामिल करते हैं। इसके संचालक सोशल मीडिया के जरिये भारतीय लोगों को भर्ती करने की कोशिश भी करते हैं।" यानी साइबर फ्रॉड का मास्टरमाइंड विदेशी हो सकता है लेकिन वो इस्तेमाल बेरोजगार भारतीयों को कर रहा है।
देशवासियों को Digital Arrest के नाम पर हो रहे Scam से बहुत सावधान रहने की जरूरत है। मैं आपको Digital सुरक्षा के ये तीन चरण बता रहा हूं, जिन्हें आप जरूर याद रखें…. #MannKiBaat pic.twitter.com/mnjzD7bOLo
— Narendra Modi (@narendramodi) October 27, 2024
About Us । Mission Statement । Board of Directors । Editorial Board | Satya Hindi Editorial Standards
Grievance Redressal । Terms of use । Privacy Policy
अपनी राय बतायें