सरकार ने शनिवार को कहा कि ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह लेने वाले तीन नए आपराधिक कानून 1 जुलाई से लागू होंगे। ये तीन नए आपराधिक कानून हैं- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम। इनके लागू होने पर देश की आपराधिक न्याय प्रणाली पूरी तरह बदल जाएगी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी तीन अधिसूचनाओं के अनुसार, नए कानूनों के प्रावधान 1 जुलाई से लागू होंगे। संसद में इन तीनों को 21 दिसंबर को पास किया गया था। नए कानून में बस धारा 106 (2) को लागू नहीं किया जाएगा।
कानून लागू होने के बाद, ट्रक ड्राइवरों ने धारा 106 (2) के प्रावधान का विरोध किया, जिसमें उन लोगों को 10 साल की कैद और जुर्माने का प्रावधान है, जो लापरवाही से वाहन चलाकर किसी व्यक्ति की मौत का कारण बनते हैं, जो गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में आता है, और पुलिस अधिकारी को इसकी सूचना दिए बिना भाग जाता था।
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने उस समय कहा था कि भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 (2) को लागू करने का निर्णय अखिल भारतीय मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के परामर्श के बाद ही लिया जाएगा।
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नए कानून में आतंकवाद शब्द को पहली बार भारतीय न्याय संहिता में परिभाषित किया गया है। राजद्रोह को अपराध के रूप में खत्म कर दिया है और "राज्य के खिलाफ अपराध" नामक एक नया खंड पेश किया है। भारतीय न्याय संहिता में अलगाववादी कृत्यों, सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियों, अलगाववादी गतिविधियों या संप्रभुता या एकता को खतरे में डालने जैसे अपराधों को राजद्रोह कानून में शामिल किया गया है।
इसमें सबसे खतरनाक क्या है
नए कानूनों के अनुसार, कोई भी जानबूझकर, बोले गए या लिखे हुए शब्दों से, या संकेतों से, या दृश्य प्रतिनिधित्व (वीडियो आदि) द्वारा, या इलेक्ट्रॉनिक संचार द्वारा या वित्तीय साधनों के उपयोग से, या अन्यथा, अलगाव या सशस्त्र विद्रोह को भड़काता है या भड़काने का प्रयास करता है। विध्वंसक गतिविधियाँ, या अलगाववादी गतिविधियों की भावनाओं को प्रोत्साहित करता है या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालने या ऐसे किसी भी कार्य में शामिल होतो है तो उसे उम्रकैद या जेल भेजकर दंडित किया जाएगा। उसकी सजा को सात साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। .
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