विपक्ष का आरोप है कि बिना बहस के नए आपराधिक कानून पारित हुए हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि पारित होने के दौरान 146 सांसदों को निलंबित कर दिया गया था। जानें अमित शाह ने क्या जवाब दिया।
रिटायर्ड नौकरशाहों से लेकर तमिलनाडु के सीएम स्टालिन, बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने पीएम मोदी से आग्रह किया है कि तीनों नए आपराधिक कानूनों को लागू नहीं किया जाए। बहुत जरूरी है तो नए कानूनों को फिर से संसद से पारित किया जाना चाहिए। नए आपराधिक कानून 1 जुलाई से लागू होने वाले हैं। इसके बाद देश में अभिव्यक्ति की आजादी से लेकर आंदोलन के अधिकार तक इन कानूनों से प्रभावित होने वाले हैं। राजनीतिक दल इनके खिलाफ सड़कों पर नहीं उतरे, चुनाव में मुद्दा नहीं बनाया, ऐसे में जनता से क्या उम्मीद की जाए। जानिए पूरा मामलाः
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश तीन क़ानूनों से जुड़े विधेयक पिछले साल दिसंबर महीने में पास हो गये और राष्ट्रपति ने भी इस पर सहमति दे दी है। जानिए, सुप्रीम कोर्ट में याचिका क्यों लगाई गई थी और यह खारिज क्यों हुई।
तीन नए आपराधिक कानून, जो हाल ही में संसद में पारित हुए और अब राष्ट्रपति की सहमति के बाद 1 जुलाई से लागू होंगे। सरकार का कहना है कि नए कानून ब्रिटिश-युग के आईपीसी की जगह लेंगे। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है कि इनमें खतरनाक क्या क्या हैः
लोकसभा ने तीन संशोधित आपराधिक विधेयक पारित कर दिए। विधेयकों में भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) (बीएसबी) 2023 शामिल हैं।