सरकार हड़बड़ी में आपराधिक न्याय व्यवस्था को क्यों बदलना चाहती है? उसने इसके लिए ज़रूरी प्रक्रिया क्यों नहीं अपनाई? विधेयकों के प्रावधानों को लेकर गंभीर आशंकाएं क्यों प्रकट की जा रही हैं? राजद्रोह कानून को हटाने के नाम पर क्या उसने और भी ख़तरनाक़ प्रावधान कर दिए हैं? आख़िर इन विधेयकों का सियासी मक़सद क्या है? क्या इन बिलों के ज़रिए मोदी अपने विरोधियों को निपटाने का पुख़्ता इंतज़ाम कर रहे हैं?