देश के पाँच राज्यों के चुनावों में बीजेपी को वोट नहीं देने की अपील करने के बाद अब संयुक्त किसान मोर्चा ने हरियाणा सरकार को गिराने में सहयोग करने का आह्वान किया है। इसने कहा है कि किसान आंदोलन को और तेज़ करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा हरियाणा में अभियान चलाएगा जिससे सरकार गिर जाए। इसने कहा है कि वह लोगों से अपील करेगा कि वे अपने विधायकों से कहें कि 10 मार्च को आने वाले अविश्वास प्रस्ताव में बीजेपी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को हराएँ।
संयुक्त किसान मोर्चा का ताज़ा फ़ैसला तब आया है जब इसने हाल ही में सीधे बीजेपी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। 2 मार्च को ही इसने कहा था कि वह रैलियाँ कर लोगों से अपील करेगा कि वे बीजेपी को वोट नहीं दें। मोर्चा 12 मार्च को बीजेपी के ख़िलाफ़ कोलकाता में रैली कर इसकी शुरुआत करेगा। उन्होंने कहा है कि आंदोलन जारी रहेगा और ज़्यादा मज़बूती से जारी रहेगा।
इसी बीच हरियाणा में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार के ख़िलाफ़ यह फ़ैसला लिया गया है। 'टीओआई' की रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त किसान मोर्चा के इस फ़ैसले का मक़सद बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व पर दबाव डालना है कि कृषि क़ानूनों को वापस लिया जाए।
हालाँकि कई विधायकों ने खुले तौर पर किसान आंदोलन का समर्थन किया है। कृषि क़ानूनों को लेकर किसान आंदोलन के बाद बीजेपी विधायकों और जेजेपी विधायकों पर भी किसानों का साथ देने का दबाव है। इनके बारे में भी कहा जा रहा है कि उन्हें डर है कि अगले चुनाव में उन्हें वोट नहीं मिलेंगे। उन्हें यह डर इसलिए भी है क्योंकि किसान आंदोलन ने गठबंधन सरकार के मंत्रियों और विधायकों के लिए गाँवों में सार्वजनिक बैठकें करना मुश्किल कर दिया।
किसानों ने उन्हें काले झंडे दिखाए। यहाँ तक कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर की करनाल में किसान महापंचायत का ज़बरदस्त विरोध हुआ था और उनको अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा था। तब बीजेपी-जेजेपी गठबंधन में खटपट की ख़बरें भी आई थीं। मुख्यमंत्री खट्टर और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि सरकार पर कोई ख़तरा नहीं है और यह पाँच साल पूरा करेगी। तब वह अमित शाह और नरेंद्र मोदी से भी मिले थे।
इसके बावजूद लगता नहीं है कि गठबंधन सरकार को ज़्यादा मुश्किल आएगी। राज्य की 90 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी और जेजेपी गठबंधन के पास 50 विधायक हैं।
इसके अलावा सात निर्दलीयों में से पाँच का समर्थन है और हरियाणा लोकहित पार्टी का भी साथ है। फ़िलहाल 88 विधायक ही सदन में हैं और दो पद खाली हैं। बहुमत के लिए 45 सदस्यों का समर्थन चाहिए। इसके बावजूद सरकार को भी अविश्वास प्रस्ताव को लेकर संदेह तो होगा ही।
किसान आंदोलन के ऐसे ही दबाव के बीच बीजेपी-जेजेपी की हरियाणा सरकार द्वारा निजी क्षेत्रों में भी स्थानीय लोगों के लिए 75 फ़ीसदी आरक्षण की ख़बर भी आई है।
इसी बीच राज्य की विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने पिछले हफ़्ते ही सरकार के खि़लाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। इसी अविश्वास प्रस्ताव के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने अभियान छेड़ने का आह्वान किया है।
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