जिस आयुष्मान भारत योजना को चार दिन पहले ही अमित शाह ने केंद्र की सर्वश्रेष्ठ योजना बताया है, उसकी हालत बेहद ख़राब दिखती है। हरियाणा के 600 निजी अस्पतालों ने आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज बंद करने की धमकी दे दी है। ऐसा इसलिए कि इस योजना के तहत इलाज करने वाले अस्पतालों के करोड़ों रुपये बकाए हैं और उन्हें इसका पैसा नहीं मिल रहा है। तो सवाल है कि जो पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजना है उसका ही ऐसा हाल कैसे हो गया कि अस्पताल इलाज बंद करने की धमकी देने लगे?
आयुष्मान भारत योजना को लेकर समय-समय पर शिकायतें आती रही हैं। विपक्षी दल इस योजना पर लगातार सवाल उठाते रहे हैं। दिल्ली और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य तो योजना को लागू करने को भी तैयार नहीं हैं और उनका दावा है कि इससे कहीं ज़्यादा बेहतर योजना उनके राज्यों में पहले से ही चल रही है। इस योजना पर कैसे-कैसे सवाल उठते रहे हैं, यह जानने से पहले यह जान लें कि हरियाणा के अस्पतालों ने आख़िर क्या फ़ैसला लिया है।
आईएमए की हरियाणा इकाई ने दो दिन पहले घोषणा की है कि राज्य भर के 600 निजी अस्पताल 3 फरवरी से केंद्र की आयुष्मान भारत योजना पर निर्भर मरीजों का इलाज करना बंद कर देंगे। इसके पीछे अस्पतालों ने वजह बतायी है कि सरकार ने अभी तक 400 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है। हरियाणा में करीब 1300 अस्पताल आयुष्मान भारत के पैनल में हैं और उनमें से 600 निजी अस्पताल हैं।
इसको लेकर आईएमए की हरियाणा ईकाई ने आयुष्मान भारत हरियाणा के सीईओ को ख़त लिखा है। पत्र के अनुसार आईएमए के प्रतिनिधियों ने 8 जनवरी को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाक़ात की थी, जिन्होंने लंबित बकाया राशि को तत्काल जारी करने का आदेश दिया। पत्र में कहा गया है, 'यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि 15 दिन बीत जाने के बाद भी हमारे सदस्यों को कोई महत्वपूर्ण भुगतान नहीं मिला है और जो राशि मिली है, उसमें भी बड़ी, अनुचित कटौती की गई है।'
हरियाणा के निजी अस्पतालों की यह चेतावनी तब आई है जब चार दिन पहले ही देश के गृहमंत्री अमित शाह ने सूरत में एक कैंसर अस्पताल का उद्घाटन करते हुए कहा था कि आयुष्मान भारत योजना सर्वश्रेष्ठ है।
अमित शाह ने कहा कि 'प्रधानमंत्री ने अपने जीवनकाल में कई ऐतिहासिक कार्य किए हैं लेकिन उन सभी में से अगर आप मुझसे कहेंगे कि बेस्ट स्कीम कौन सी है, तो मैं आयुष्मान भारत योजना कहूंगा।' उन्होंने दावा किया कि इस योजना के तहत, क़रीब 60 करोड़ नागरिक अब पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज पाने के पात्र हैं।
ऐसी महत्वाकांक्षी योजना होने के बावजूद इस पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। कभी योग्य लोगों को योजना का लाभ नहीं मिलने जैसी तो कभी मरीजों को अस्पताल में इलाज से इंकार करने जैसी शिकायतें मिलती रही हैं। निजी अस्पतालों पर भी गड़बड़ियाँ किए जाने के आरोप लगते रहे हैं।
इसी महीने बेंगलुरु से एक दिल दहला देने वाली ख़बर आई थी। बेंगलुरु में 72 साल के शख्स ने आयुष्मान भारत योजना के लाभ से इनकार किए जाने के बाद 25 दिसंबर को आत्महत्या कर ली थी। हालाँकि यह रिपोर्ट जनवरी महीने में सामने आ पायी। उन्हें गैस्ट्रिक कैंसर था।
केंद्र सरकार यूपी को 2020 से कह रही है कि वो इस योजना के तहत दैनिक इलाज की संख्या को तीन गुना करे। यूपी में चिकित्सा बीमा योजना की पहुंच वैसे भी कम है। कहा जाता है कि निजी अस्पताल बकाया भुगतान में देरी की वजह से योजना में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। शिकायतें तो ये भी रही हैं कि नेटवर्क में पर्याप्त गुणवत्ता वाले अस्पताल नहीं हैं। आयुष्मान भारत मुख्य रूप से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए लाया गया है, और इसके पैनल में शामिल अस्पतालों का नेटवर्क अक्सर सरकारी और कुछ निजी अस्पतालों तक ही सीमित है। एक दिक़्क़त यह भी है कि आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों को अस्पताल अक्सर अंग प्रत्यारोपण, कॉस्मेटिक सर्जरी और यहाँ तक कि कुछ प्रकार के कैंसर का इलाज के लिए मना कर देते हैं। ऐसे में वरिष्ठ नागरिकों को इसका फायदा नहीं मिलता है।
गुजरात में तो निजी अस्पतालों पर इस योजना से कमाई करने का आरोप लगा था। 2023 में सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट में इस योजना के तहत गुजरात के अस्पतालों में अनियमितताएं सामने आई थीं।
इस योजना के जरिये इलाज की आड़ में अस्पतालों ने सरकार से लाखों रुपये वसूले। सीएजी रिपोर्ट 2023 के अनुसार, जनवरी 2021 से मार्च 2021 की अवधि के दौरान, ऑडिटरों ने गुजरात के 50 अस्पतालों का दौरा किया और अनियमितताएं पाईं।
एक रिपोर्ट के अनुसार गुजरात की तरह सीएजी ने मध्य प्रदेश में भी जांच की और बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां पकड़ीं। कैग रिपोर्ट 2023 के मुताबिक जांच में पाया कि 447 मरीजों का इलाज हुआ ही नहीं और उनकी मौत हो गई। लेकिन प्राइवेट अस्पतालों ने सरकार से लाखों रुपये वसूल लिये। रिपोर्ट के अनुसार 8081 मरीजों का इलाज एक ही समय में एकसाथ कई अस्पतालों में चलता हुआ पाया गया।
हाल ही में दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में आयुष्मान योजना को लागू नहीं किए जाने के पीछे जो वजहें बताई थीं उनमें उन्होंने इन गड़बड़ियाँ को भी शामिल किया था।
केजरीवाल ने कहा था कि सीएजी को आयुष्मान भारत योजना में काफी गड़बड़ियां मिली हैं, जबकि दिल्ली सरकार की योजना के तहत दिल्ली के हर शख्स को मुफ्त इलाज मिलता है।
केजरीवाल की यह टिप्पणी तब आई थी जब उनसे एक दिन पहले पीएम मोदी ने आयुष्मान योजना का विस्तार करते हुए 70 साल से अधिक उम्र के सभी बुजुर्गों को इसमें शामिल कर दिया था। इस दौरान पीएम ने कहा था कि उन्हें अफसोस है कि इस योजना में दिल्ली और बंगाल शामिल नहीं है, क्योंकि दोनों राज्यों की सरकारों ने इसे मंजूरी नहीं दी। लेकिन दोनों ही राज्य- दिल्ली और पश्चिम बंगाल दावा करते रहे हैं कि उनके पास आयुष्मान योजना से बढ़िया स्वास्थ्य योजना है।
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दिल्ली में क्या योजना?
दिल्ली आरोग्य कोष की ओर से सरकारी अस्पताल में 5 लाख रुपये तक के इलाज के लिए सरकार की ओर से मदद दी जाती है। इसका लाभ लेने के लिए परिवारों की सालाना आय 3 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
दिल्ली में जिन गरीब परिवारों की आय 1 लाख सालाना या उससे कम है उन्हें दिल्ली आरोग्य निधि के तहत डेढ़ लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जाती है।
इसके साथ ही अरविंद केजरीवाल ने 18 दिसंबर 2024 को बुजुर्गों के लिए 'संजीवनी योजना' शुरू की। इसके तहत राजधानी के 60 साल से ज़्यादा उम्र के बुजुर्गों का इलाज सरकारी या प्राइवेट दोनों तरह के अस्पतालों में निशुल्क होगा। इस योजना का लाभ उठाने के लिए आय की कोई सीमा नहीं है और दिल्ली सरकार इलाज का पूरा खर्च उठाएगी।
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पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य योजना
पश्चिम बंगाल में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के नागरिकों के लिए स्वास्थ्य साथी योजना चलाई जा रही है। इसमें लाभार्थियों को 5 लाख रुपये तक के कैशलेस इलाज की सुविधा मिलती है। इसके लिए सरकार स्मार्ट कार्ड जारी करती है।
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