चीन ने अपनी एक प्रयोगशाला में दस करोड़ डिग्री तापमान वाले प्लाज्मा को 1066 सेकंड (17 मिनट 46 सेकंड) तक स्थिर रखकर विश्व कीर्तिमान बनाया ही है, फ्यूजन एनर्जी की संभावना को कुछ और करीब लाकर देर-सबेर ग्लोबल वॉर्मिंग का मुकाबला हो पाने की उम्मीद भी जगा दी है। पिछले तीन सालों में इस लैब ने प्लाज्मा को स्थिर रखने के अपने ही रिकॉर्ड को 403 सेकंड के ढाई गुने से भी ऊपर ला दिया है, हालाँकि ऐसे रिकॉर्ड बनाए जाने की ख़बरें चीन के अलावा बीच-बीच में अमेरिका, जापान और कोरिया से भी आती रही हैं। ऊर्जा के क्षेत्र में यकीनन कुछ बहुत बड़ा घटित होने जा रहा है। लेकिन यह एक झटके में हो जाने वाला काम नहीं, कई तरफ़ से चलकर लंबे समय में मंजिल तक पहुंचने वाली वैश्विक परियोजना है और इन ख़बरों का कुछ सिर-पैर समझने के लिए हमें थोड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है।
चीनियों का एक और कारनामा! और ठोस किया फ्यूजन एनर्जी का सपना
- विविध
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- 28 Jan, 2025

एआई में तहलका मचाने वाले चीन का एक और बड़ा कारनामा सामने आ रहा है! जानिए, इसने फ्यूजन एनर्जी मेंं अब क्या उपलब्धिक हासिल की है।
फ्यूजन एनर्जी परमाणु ऊर्जा का ही एक अलग रूप है, लेकिन अधिक संभावनाशील और कुछ ज्यादा ही कठिन। इसकी मुश्किलों में सीधे जाने के बजाय हम ढाई साल पहले आई एक और चौंकाने वाली ख़बर पर लौटते हैं। 2022 में फ्यूजन एनर्जी के क्षेत्र में एक बड़े ब्रेकथ्रू की घोषणा करते हुए अमेरिका की लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लैबोरेट्री (एलएलएनएल) ने पहली बार किसी फ्यूजन रिएक्शन में लगाई गई एनर्जी से ज़्यादा एनर्जी हासिल करने की बात कही थी। उसने हाइड्रोजन के दो आइसोटोपों ड्यूटीरियम और ट्राइटियम का फ्यूजन लेजर के ज़रिये कराया था और इसमें 2.1 मेगाजूल एनर्जी लगाकर 2.5 मेगाजूल एनर्जी हासिल की थी। इससे कम से कम सिद्धांततः यह बात तय हो गई कि फ्यूजन एनर्जी में नेट गेन संभव है, यह बेकार की कसरत नहीं है। ध्यान रहे, चीन वाले चर्चित प्रयोग के नतीजों में सिर्फ़ तापमान और समय का ज़िक्र है। कितनी ऊर्जा लगाकर कितनी हासिल की गई, ऐसी कोई बात उनके बयान में नहीं है।