लिखित कमांड पर नया संगीत बना देन, नई पेंटिंग पेश कर देने या कोई ढीला-ढाला नया सॉफ्टवेयर कोड लिख देने वाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस 2010 के बाद से ही चर्चा में आने लगी थी। पैटर्न पहचानने में माहिर एआई की बाकी किस्मों से अलगाने के लिए इसे जेनरेटिव एआई कहने का चलन रहा है। ऐसी एआई, जो सिर्फ चीजों को अलग से पहचान लेने तक सीमित रहने के बजाय आपके हुक्म पर कोई नया विजुअल, ऑडियो-वीडियो या कोड जेनरेट करती है। यह धीरे-धीरे विकसित होने वाली तकनीक रही है, हालांकि पिछले कुछ सालों में इसकी रफ्तार बहुत तेज हो गई है। सूचना और मनोरंजन से जुड़े प्रॉडक्शन में बैठे लोग जेन एआई में हो रहे विकास को लेकर चकित होते रहे हैं लेकिन इसको लेकर बड़े पैमाने की कोई चहल-पहल पिछले दशक तक देखने को नहीं मिली।
एआई की अगली होड़ ‘आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस’ में
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- 4 Feb, 2025

एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है। अब आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (एजीआई) प्रौद्योगिकी के भविष्य को कैसे आकार दे रहा है। जानियेः