loader

एआई के जोर से मैदानी मुकाबले में आ गए हैं रोबॉट

अप्रैल 2025 में, यानी अब से सिर्फ डेढ़ या दो महीने बाद दुनिया को एक ऐसा जमीनी नजारा देखने को मिलेगा, जिसके आसपास की कोई चीज अबतक शायद फिल्मों में ही देखी गई हो। चीन के राजधानी क्षेत्र पेइचिंग के ताशिंग जिले में इंसान और रोबॉट अगल-बगल की स्टार्टिंग पोजिशन से एक साथ हाफ मैराथन की शुरुआत करेंगे और सड़क पर एक-दूसरे को पीछे छोड़कर अव्वल आने की कोशिश भी करेंगे।
दिल्ली और मुंबई में हाफ मैराथन की एक-एक इवेंट हर साल होती है, जिसमें पेशेवर अथलीट्स के अलावा शौकिया तौर पर दौड़ने वाले आम लोग भी हिस्सा लेते हैं। पेइचिंग हाफ मैराथन इनसे एक ही मायने में अलग होगी कि 21 किलोमीटर की इस दौड़ में लगभग 12 हजार इंसानी धावकों के साथ-साथ दो दर्जन से ज्यादा ह्यूमनॉयड रोबॉट्स भी हिस्सा लेंगे।

ताजा ख़बरें
ह्यूमनॉयड रोबॉट यानी क्या? चेक नाटककार कार्ल चापेक ने 1920 में अपने नाटक रॉसम्स यूनिवर्सल रोबॉट्स (आरयूआर) में जब पहली बार ‘रोबॉट’ शब्द का इस्तेमाल किया था तब इससे उनका मतलब सारे काम इंसान की तरह करने वाली मशीनों से था। हिंदी में इसके लिए ‘यंत्रमानव’ शब्द आजमाया जाता है जिससे चापेक वाला अर्थ ही निकलता है। लेकिन साहित्य-कला से बाहर रोबॉटिक्स पर तकनीकी दायरे में काम शुरू हुआ तो रोबॉट का एक बड़ा अर्थ सामने आया। 
कोई भी ऐसी चीज, जो इंसान के सीधे नियंत्रण के बिना इंसानों जैसे कुछ जरूरी काम कर सके, वह रोबॉट है। इस दृष्टि से देखने पर ड्रोन से लेकर ड्राइवरलेस कारों तक काफी चीजें रोबॉट ही लगेंगी। लेकिन अभी यह शब्द ज्यादा जोखिम के काम करने वाली कुछ गिनी-चुनी मशीनों के लिए ही चलन में है।
केकड़ों जैसे दिखने वाले रोबॉट जापान में दुर्घटनाग्रस्त फुकुशीमा न्यूक्लियर प्लांट की जानलेवा रेडिएशन वाली जगहों में घुसकर उसकी सफाई करते हैं। ऑटोमोबील कंपनियों में जरा अलग शक्ल के साथ वे भीषण तापमान पर गाड़ियों की बॉडी असेंबल करते हैं। इनके उलट, ‘ह्यूमनॉयड रोबॉट’ नाम उन रोबॉट्स को दिया गया है जो इंसानों जैसे दिखते हैं, उन्हीं के जैसे काम भी करते हैं। यानी वे ही, जिनको हमारी आदत यंत्रमानव बोलने की है। स्वभावतः ये ज्यादा महंगे पड़ते हैं और जापानी कंपनियों द्वारा काफी समय से वेटर और दूसरी भूमिकाओं में जहां-तहां प्रदर्शित किए जाने के बावजूद खुद जापान में भी इनका कोई बाजार नहीं बन पाया है। एआई, खासकर लार्ज लैंग्वेज मॉडल के उदय के बाद से ह्यूमनॉयड रोबॉट्स में इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री की नई दिलचस्पी देखी जा रही है।

पेइचिंग की मिक्स्ड हाफ मैराथन के आयोजकों ने ह्यूमनॉयड रोबॉट्स की भागीदारी के लिए भी कुछ साफ नियम घोषित किए हैं। एक तो यह कि ये पूरी तरह दो पैरों से ही चलने-दौड़ने वाले होने चाहिए। यह नहीं कि स्केटिंग की तरह दोनों पैरों में दो-दो पहिए लगा दिए। दूसरी बात यह कि सिर्फ आकृति में नहीं, आकार में भी ये इंसानों जैसे दिखने चाहिए। ठोस रूप से- इनकी ऊंचाई न तो 1.6 फुट से कम होनी चाहिए, न ही 6.5 फुट से ज्यादा।

ये खुद से दौड़ें या रिमोट से दौड़ाए जाएं, इसपर कोई शर्त नहीं लगाई गई है। आदमी-औरतें मैराथन के दौरान पानी या एनर्जी ड्रिंक पी सकते हैं और केले या बिस्कुट जैसा कुछ हल्का-फुल्का खा भी सकते हैं। रोबॉट्स को इस मामले में उनसे बराबरी देने के लिए 21 किलोमीटर के सफर में एक बार उनकी बैटरी बदलने की इजाजत दी गई है। 

इंसानों के साथ इस होड़ में वे जीतें या हारें लेकिन रोबॉटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दुनिया में यह यकीनन एक बहुत बड़ी छलांग होगी। इस अनोखी दौड़ को लेकर दुनिया भर में उत्सुकता देखी जा रही है। कौन से रोबॉट दौड़ेंगे? कौन सी कंपनियां अपने सबसे बेहतरीन मॉडल्स इस इवेंट के लिए पेश करेंगी?

 इतनी बड़ी भीड़ में आगे निकलना तो दूर, इसमें टिके रहने के लिए भी किसकी एआई तकनीक सबसे दमदार साबित होगी? ऐसे कई सवाल लोगों के जेहन में हैं। कंटेस्टेंट्स की सूची अभी तक आधिकारिक तौर पर जारी नहीं हुई है। दुनिया भर के मैराथनर और हाफ मैराथनर ऐसी इवेंट्स में बुलाए जाते हैं, लेकिन उनके नामों की घोषणा में अभी देरी है।

अलबत्ता रोबॉट्स के मामले में उतनी दुविधा नहीं है। खासकर चीनी अखबारों में कुछ नाम इवेंट की घोषणा के दिन से ही चर्चा में हैं। पिछले साल सिर्फ प्रदर्शन के लिहाज से हाफ मैराथन में अपने रोबॉट 'थ्येनगांग' को दौड़ा चुकी वहां की अपनी रोबॉटिक्स कंपनी गैलबॉट इस बार अपने नए और बेहतर मॉडल के साथ रेस में उतरेगी।

पिछले साल थ्येनगांग ने आखिर के सौ मीटर फर्राटा भरने के बाद फिनिशिंग लाइन के उस पार से मैराथन रनर्स को चिअर-अप किया था, लेकिन इस बार उसके ज्यादा बेहतर मॉडल को पूरी 21 किलोमीटर की दौड़ के लिए उतारा जाएगा। 

रोबॉटिक्स के दायरे में सबसे ज्यादा चर्चा अबतक जापान की होती आई है, लेकिन इधर कुछ सालों से चीनी कंपनियां भी घरेलू कामकाज में दक्ष रोबॉट बनाने में तेजी से आगे आई हैं। अप्रैल की पेइचिंग हाफ मैराथन में हम ऐसी ही कुछ कंपनियों यूबीटेक रोबॉटिक्स, फूरियर इंटेलिजेंस और क्लाउडमाइंड्स के रोबॉट मॉडल को भी मैदान में देख सकते हैं।
लेकिन इनके रोबॉट्स की इमेज  मैदान में इंसानों के मुकाबले में अपने जौहर दिखाने वाली चीजों की नहीं, शालीन दिखने वाली घरेलू इंसानी मशीनों की है। बहरहाल, कैसा भी कमाल ये क्यों न दिखा दें, लोगों की दिलचस्पी इनमें तभी पैदा होगी, जब चीन के अलावा दूसरे देशों के रोबॉट भी इवेंट में हिस्सा लेंगे। चीनी आयोजक अगर इसमें अमेरिका, फ्रांस, जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर आदि की भागीदारी करा सके तो रोमांच बढ़ जाएगा।

गैर-चीनी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों के विपरीत कुछ नामी विश्वविद्यालय और रिसर्च इंस्टीट्यूट इस दौड़ में हिस्सा लेने के लिए ज्यादा उत्साहित हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) जैसी संस्थाओं ने इस इवेंट में दिलचस्पी जाहिर की है जबकि फ्रांस के इकोल पॉलीटेक्नीक की ओर से बयान आने का सबको इंतजार है। इनके बरक्स चीन के अपने इचिंग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी और शांघाई च्योतुंग यूनिवर्सिटी का रोबॉटिक्स और एआई में ऊंचा दखल है और इस दौड़ में इनके रोबॉट्स का प्रदर्शन देखना दिलचस्प होगा।
सवाल यह है कि रोबॉट्स के लिए इस दौड़ में चुनौतियां क्या होंगी। सबसे बड़ी चुनौती तो 21 किलोमीटर की दौड़ पूरी करने की ही होगी। यह दौड़ ट्रैक पर नहीं, सड़क पर होनी है, लिहाजा रास्ता सीधा नहीं होगा। सड़क पर मोड़ आएंगे और थोड़ी-बहुत चढ़ाई या ढलान भी मिलेगी। रोबॉट्स को हर तरह के रास्ते पर दौड़ने के लिए तैयार रहना होगा। इसके लिए उनके जोड़ लचीले, सेंसर दुरुस्त और एआई एल्गोरिथम का दायरा बड़ा होना चाहिए। जो रोबॉट रिमोट से नहीं चल रहे होंगे, उनके लिए सही रास्ता पहचानना, यानी नेविगेशन भी एक बड़ी चुनौती होगी। और हाँ, रोबॉट्स को भरोसेमंद भी होना चाहिए। दौड़ के वक्त कोई खराबी आ गई, तो सारी मेहनत बेकार हो जाएगी।

विविध से और खबरें
रास्ते में आने वाली रुकावटों से उन्हें बचना होगा, और इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि न वे इंसानी धावकों का रास्ता रोकें, न ही उनसे टकराकर गिर पड़ें। गिरने के बाद उठ जाने की अपेक्षा भी उनसे की जानी चाहिए या नहीं, यह अलग सवाल है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए रोबॉट्स में दो पैरों पर भागने का बेहतर सिस्टम, दमदार बैटरी, और एआई-पावर्ड एनर्जी मैनेजमेंट सिस्टम का होना ज़रूरी है। मतलब, रोबॉट को सिर्फ तेज़ ही नहीं दौड़ना होगा। 'मैराथन रनर' की तरह उन्हें अपनी ऊर्जा का सही इस्तेमाल भी करना होगा। साढ़े छह फुट लंबे अपने हल्के शरीर के दम पर वे दस मिनट में पांच किलोमीटर भाग जाएं तो भी अनुभवी मैराथनर घंटे भर में उन्हें पकड़ लेंगे।  

एक लिहाज से यह दौड़ मैराथन र्स के लिए भी काफी काम की होगी। हर हाफ मैराथन में सबसे आगे दौड़ने वाले धावकों को एक अजीब किस्म का अकेलापन महसूस होता है। उन्हें अपनी बराबरी के एथलीट नहीं मिलते तो उनका अपना प्रदर्शन नीचे आ जाता है। रिकॉर्ड तोड़ने का सपना चूर हो जाता है। यहां अगर उन्हें टक्कर देने वाले रोबॉट मिल गए तो लंबी दौड़ों में उसी तरह एक मशीनी ट्रेनर का कॉन्सेप्ट उभर आएगा, जैसे क्रिकेट प्रैक्टिस में अभी बोलिंग मशीनों का चलन चल पड़ा है। बहरहाल, सबसे ज्यादा फायदा इसमें एडवांस इंटेलिजेंस वाली रोबॉटिक्स का होना है, जिनके प्रॉडक्ट अगर इस इवेंट में चल गए तो कई मायनों में वे आम इंसानी दायरे का हिस्सा बन जाएंगे।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
चंद्र भूषण
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

विविध से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें