क्वांटम कंप्यूटिंग को हाल तक विज्ञान के दायरे की एक लंतरानी भर समझा जाता था लेकिन पिछले कुछ सालों से यह किस्सा अचानक बदल गया है। लगभग हर साल ही एक-दो बड़े बयान इस क्षेत्र को लेकर आते हैं, जिनकी सनसनी तकनीकी दुनिया में देर तक छाई रहती है। इस हफ्ते माइक्रोसॉफ्ट की ओर से मायोराना-1 (अंग्रेजी स्पेलिंग मेजोराना-1) क्वांटम चिप की घोषणा को इस क्षेत्र में पैराडाइम शिफ्ट की तरह देखा जा रहा है। क्वांटम कंप्यूटर की जो तस्वीरें अभी हमें देखने को मिलती हैं, उनमें यह सुनहरे तारों और तख्तियों के बहुत बड़े जंजाल जैसा दिखता है। इसे लगातार बहुत ज्यादा ठंडा रखने में किसी छोटे-मोटे कस्बे के इस्तेमाल जितनी बिजली खर्च होती है। इसके उलट, माइक्रोसॉफ्ट द्वारा जारी तस्वीर में मायोराना-1 एक छोटी सी रंगबिरंगी तख्ती भर नजर आ रही है। 

अभी यह एक ‘स्टेट ऑफ द आर्ट’ चीज ही है। इसकी कार्यक्षमता के बारे में हम ज्यादा नहीं जानते, सो इसको खींचना जरूरी नहीं हैं। अलबत्ता नई खोजों के मामले में एक अर्से से ठंडी पड़ी माइक्रोसॉफ्ट कंपनी की साख ऐसी है कि दुनिया उसकी किसी भी सार्वजनिक घोषणा को हल्के में नहीं लेती। 1980 के दशक में अपना डेस्क ऑपरेटिंग सिस्टम (डॉस) लांच करके इसने कंप्यूटरों की धारणा को लैबोरेट्री की बहुत महंगी, भारी-भरकम मशीनों से हटाकर मेज पर पड़ी कामकाजी चीज तक ला दिया था। उसका कहना है कि आने वाले दिनों में मायोराना-1 जैसी दस लाख क्वांटम चिप्स को हथेली जितनी जगह में फिट किया जा सकेगा। यह कैसी अचरज वाली बात है, इसका अंदाजा आपको यह लेख पढ़ने के बाद होगा। लेकिन उसके बयान के पीछे 17 साल की रिसर्च है, सो कुछ बात तो इसमें है।