पंजाब के किसानों को दिल्ली मार्च करने से रोकने के लिए हरियाणा ने 6 पुलिसकर्मियों के लिए वीरता पदक दिए जाने की सिफारिश की है। जिन छह के लिए यह अवार्ड मांगा गया है उनमें तीन आईपीएस अधिकारी और तीन हरियाणा पुलिस सेवा के अधिकारी हैं। हरियाणा पुलिस ने सरकार के सामने अपनी मांगें रखने के लिए पंजाब से दिल्ली आ रहे किसानों को शंभू और खनौरी बॉर्डर पर पूरी तन्मयता से रोके रखा।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों के समर्थन में अपने मार्च की घोषणा की थी। उन्होंने 'दिल्ली चलो' आंदोलन शुरू किया था। इस साल फ़रवरी में हरियाणा सरकार ने अंबाला और जींद में क्रमशः शंभू और खनौरी सीमाओं पर बैरिकेड्स लगाए थे। किसान 13 फरवरी से पंजाब की ओर दो सीमा बिंदुओं पर डेरा डाले हुए हैं।
प्रदर्शनकारी किसानों ने 12 फरवरी से सीमाओं पर डेरा डालना शुरू कर दिया था। सरकार का दावा है कि 13 फरवरी को शंभू सीमा पर लगभग 15,000 लोग जुटे हुए थे। प्रदर्शनकारी बैरिकेड तोड़ने के लिए मोडीफाई किए हुए ट्रैक्टरों के साथ आगे बढ़ रहे थे। 21 फरवरी को खनौरी में हुई झड़पों में बठिंडा के 21 वर्षीय शुभकरण सिंह की मौत हो गई थी और कई किसान और पुलिसकर्मी घायल हो गए।
हाल ही में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 10 जुलाई को हरियाणा सरकार को शंभू सीमा पर एक सप्ताह के भीतर बैरिकेड्स हटाने का निर्देश दिया है। हरियाणा सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
सरकार ने डीजीपी शत्रुजीत कपूर से 'उनकी असाधारण बहादुरी और नेतृत्व क्षमता' के लिए सिफारिशें प्राप्त करने के बाद नाम भेजे।
अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार फरवरी में जब किसानों ने आंदोलन की घोषणा की थी, तब कबीरराज को अंबाला रेंज का आईजीपी बनाया गया था, जबकि रंधावा एसपी अंबाला थे। कबीरराज अभी भी अंबाला पुलिस रेंज की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं, जबकि रंधावा का बाद में तबादला कर दिया गया था। कबीरराज और रंधावा के साथ डीएसपी नरेंद्र सिंह और डीएसपी राम कुमार भी शंभू बॉर्डर पर तैनात थे, जो किसान आंदोलन का केंद्र है। एसपी जींद सुमित कुमार और डीएसपी अमित भाटिया आंदोलन के समय पटियाला-दिल्ली हाईवे पर खनौरी बॉर्डर पर तैनात थे।
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