अजित पवार की एनसीपी को तगड़ा झटका लगा है। महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवाड़ में एनसीपी के चार शीर्ष नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी को पहला बड़ा झटका लगा है। अब रिपोर्टें हैं कि इस सप्ताह के अंत में अजित का साथ छोड़ने वाले ये नेता शरद पवार के नेतृत्व वाली पार्टी में शामिल हो सकते हैं।
एनसीपी की पिंपरी-चिंचवाड़ इकाई के प्रमुख अजित गव्हाणे उन लोगों में शामिल हैं जिन्होंने अजित पवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। अन्य नेताओं में पिंपरी चिंचवाड़ छात्र विंग के प्रमुख यश साने और पूर्व पार्षद राहुल भोसले और पंकज भालेकर शामिल हैं। यह घटनाक्रम महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले हुआ है और यह चुनाव के मद्देनज़र अजित के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।
इस्तीफ़े के बाद चर्चा है कि अजित पवार खेमे के कुछ नेता शरद पवार खेमे में वापस लौटना चाहते हैं। इस महीने की शुरुआत में शरद पवार ने दावा किया था कि अलग हुए एनसीपी गुट के कुछ विधायकों ने उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता जयंत पाटिल से मुलाक़ात की थी।
ऐसी भी अटकलें हैं कि महाराष्ट्र के मंत्री और वरिष्ठ एनसीपी नेता छगन भुजबल अजित पवार का साथ छोड़ सकते हैं। पिछले महीने महा विकास अघाड़ी का हिस्सा शिवसेना (यूबीटी) के एक वरिष्ठ नेता ने भुजबल से मुलाक़ात की थी। सूत्रों ने बताया कि भुजबल इस बात से नाराज़ थे कि अजित पवार ने बारामती लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले से हारने के बाद अपनी पत्नी सुनेत्रा को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया था। प्रभावशाली ओबीसी नेता भुजबल राज्यसभा सीट और उसके बाद केंद्रीय मंत्री पद के लिए दावेदारी कर रहे थे।
शरद पवार ने कहा था कि जो लोग पार्टी को कमज़ोर करना चाहते हैं, उन्हें शामिल नहीं किया जाएगा, लेकिन जो नेता संगठन को मज़बूत करने में मदद करेंगे और पार्टी की छवि को नुकसान नहीं पहुँचाएँगे, उन्हें शामिल किया जाएगा।
लोकसभा चुनावों में महा विकास अघाड़ी यानी एमवीए ने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन को चौंकाते हुए 48 में से 30 सीटें जीत लीं। अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी को सिर्फ़ एक सीट रायगढ़ मिली, जबकि शरद पवार गुट को आठ सीटें मिलीं।
वैसे, कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव नतीजों ने अजित खेमे में खलबली मचा दी है। एनसीपी में बँटवारा होने के बाद लोकसभा चुनाव दोनों खेमों के लिए पहली बड़ी परीक्षा था। अजित पवार चुनाव आयोग द्वारा उन्हें पार्टी का नाम और चिह्न दिए जाने के बाद पहली चुनावी लड़ाई में अपने चाचा शरद पवार की एनसीपी पर अपना दबदबा बनाने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन लोकसभा चुनाव के नतीजों ने अजित पवार को निराश कर दिया। कहा जा रहा है कि मतदाताओं ने जिस तरह से शरद पवार पर भरोसा जताया है, उससे अब अजित पवार खेमे के विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों में अपने भविष्य को लेकर संशय पैदा होगा।
कुछ रिपोर्टों में तो कहा जा रहा है कि अजित पवार के खेमे से राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा पलायन संभव है। शरद पवार की पार्टी के बेहतर नतीजे आने के बाद अजित पवार के कई विधायक राजनीतिक रूप से प्रासंगिक बने रहने के लिए उनके पास लौट सकते हैं।
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