गुड़गांव प्रशासन ने मुसलमानों को नमाज़ के लिए मंजूर की गई 37 जगहों में से 8 जगहों की मंजूरी को वापस ले लिया है। प्रशासन ने कहा है कि स्थानीय लोगों की आपत्ति के बाद उन जगहों की मंजूरी को रद्द कर दिया गया है। इसके साथ ही प्रशासन ने यह भी कहा है कि यदि स्थानीय लोगों से दूसरी जगहों पर भी इस तरह की आपत्ति आती है तो उन जगहों पर भी मंजूरी नहीं दी जाएगी। रिपोर्ट है कि प्रशासन ने यह फ़ैसला मंगलवार को लिया है।
2018 में इसी तरह के आयोजनों के मद्देनज़र 37 जगहों को प्रार्थना स्थलों के रूप में नामित किया गया था। प्रशासन ने कहा है कि मसजिदों या ईदगाह, किसी निजी स्थल, या 29 नामित जगहों पर नमाज अदा की जा सकती है।
गुड़गांव के अधिकारियों ने अब कहा है कि किसी भी सार्वजनिक और खुली जगह पर नमाज के लिए प्रशासन से सहमति ज़रूरी है। उन्होंने साफ़ तौर पर कहा है कि यदि स्थानीय लोगों को अन्य जगहों पर भी आपत्ति होगी तो वहाँ भी नमाज अदा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
प्रशासन ने कहा है कि गुड़गाँव के उपायुक्त यश गर्ग द्वारा गठित एक समिति नमाज अदा करने के लिए स्थानों की पहचान करने पर चर्चा करेगी।
गुड़गांव प्रशासन का यह फ़ैसला तब आया है जब हाल में दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े लोगों ने जुमे की नमाज़ का विरोध किया है। 29 अक्टूबर को भी ऐसे विरोध पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए 30 लोगों को हिरासत में लिया था। यह घटना सेक्टर 47 में हुई थी। प्रदर्शनकारियों ने इस दौरान जमकर नारेबाज़ी की थी। गुड़गांव में शुक्रवार की नमाज़ को लेकर दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े लोग लंबे वक़्त से हंगामा कर रहे हैं।
29 अक्टूबर को जो हंगामा हुआ था उसमें दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े लोग सेक्टर 47 में नमाज़ पढ़ने वाली जगह पर पहुंच गए थे और नारे लगाने लगे थे। उन्होंने हाथों में बोर्ड लिए हुए थे, जिनमें लिखा था कि खुले में नमाज़ पढ़ना बंद करो और बाहरी लोग इस सेक्टर में नमाज़ न पढ़ें।
घटना के एक वीडियो में दिखा था कि पुलिस इन प्रदर्शनकारियों को बसों में भरकर ले गयी थी। यह लगातार तीसरा हफ़्ता था, जब नमाज़ में खलल डालने की कोशिश की गई थी। उससे एक हफ़्ते पहले सेक्टर 12-A में भी ऐसा ही हुआ था और प्रदर्शनकारियों ने जय श्री राम के नारे लगाए थे।
गुड़गांव में नमाज़ के विरोध की पहली घटना 2018 में हुई थी। इसके बाद मुसलिम समुदाय, हिंदू समुदाय और प्रशासन के अफ़सरों के बीच लंबी बातचीत हुई थी और नमाज़ पढ़ने के लिए 37 जगहों का चयन किया गया था। उसके बाद से मुसलिम समुदाय के लोग इन जगहों पर नमाज़ अदा करते आ रहे थे और दो साल तक मामला शांत रहा था। लेकिन बीते कुछ हफ़्तों से एक बार फिर से दक्षिणपंथी संगठनों के लोगों ने सेक्टर 12-A और सेक्टर 47 में नमाज़ पढ़ने वाले लोगों का विरोध शुरू कर दिया।
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