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वर्जिनिटी टेस्ट असंवैधानिक: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने विवादित वर्जिनिटी(कौमार्य) टेस्ट पर मंगलवार को सुनवाई के बाद एक अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हिरासत में महिला बंदी और आरोपी किसी का भी वर्जिनिटी टेस्ट कराया जाना असंवैधानिक है, फिर चाहे वह न्यायिक हिरासत में हो या पुलिस हिरासत में।
दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस स्वर्ण कांत शर्मा की सिंगल बैंच साल 1992 में केरल में हुए सिस्टर अभया की हत्या के लिए दोषी सिस्टर सेफी के वर्जिनिटी  टेस्ट को असंवैधानिक करार दिया और कहा कि हिरासत में भी किसी व्यक्ति की मूल गरिमा को बरकरार रखा जाना चाहिए। इस मामले में जिसका उल्लंघन किया गया है।
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जस्टिस शर्मा ने सिस्टर सेफी को आपराधिक मामला खत्म होने के बाद उनके मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए मुआवजा मांगने की स्वतंत्रता दी। 
सिस्टर अभया 27 मार्च, 1992 को केरल के कोट्टायम जिले के सेंट पायस कॉन्वेंट के एक कुएं में मृत पाई गई थीं। लोकल पुलिस और क्राइम ब्रांच ने  उस समय इसको कहा आत्महत्या का मामला बताया था।
1993 में सिस्टर बानिकासिया (मदर सुपीरियर) और कन्नाया कैथोलिक चर्च की 67 अन्य ननों द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री के करुणाकरन को पत्र लिखकर दावा किया था कि मामले की ठीक से जांच नहीं हुई है। उसके बाद से इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया था।
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सीबीआई ने 2009  में अपनी जांच रिपोर्ट में कहा कि मृतक ने निश्चित रूप से सिस्टर सेफी, फादर कोट्टूर और तीसरे आरोपी  फादर जोस पूथरीकायिल को आपत्तिजनक स्थिति में देखा था। दिसंबर 2020 में  सीबीआई कोर्ट ने इस माना कि सिस्टर सेफी और फादर कोट्टूर ने पीड़िता के सिर पर घातक प्रहार किया, जिससे उसकी मौत हो गई थी।
सीबीआई अदालत ने सिस्टर सेफी और फादर कोट्टूर को आईपीसी के तहत हत्या के अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। पिछले साल जून में केरल उच्च न्यायालय ने सजा निलंबित कर दी थी और दोषियों को जमानत दे दी थी। सिस्टर सेफी ने अपने वर्जिनिटी टेस्ट को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
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क़मर वहीद नक़वी
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