दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस
स्वर्ण कांत शर्मा की सिंगल बैंच साल 1992 में केरल में हुए सिस्टर अभया की हत्या के लिए दोषी सिस्टर सेफी के वर्जिनिटी टेस्ट को असंवैधानिक करार दिया और कहा कि हिरासत
में भी किसी व्यक्ति की मूल गरिमा को बरकरार रखा जाना चाहिए।
सिस्टर अभया की हत्या किसी विधर्मी ने नहीं की थी! वे अगर अपनी ही जमात के दो पादरियों और एक सिस्टर को 27 मार्च 1992 की अल सुबह कॉन्वेंट के किचन में आपत्तिजनक स्थिति में देखते हुए पकड़ नहीं ली जातीं तो निश्चित ही आज जीवित होतीं।
विशेष सीबीआई अदालत ने तिरुवनंतपुरम में फ़ादर थॉमस कुट्टूर और सिस्टर सेफ़ी को सिस्टर आभया की हत्या करने और सबूत नष्ट करने का दोषी माना है। उन्हें आजीवन कारावास के साथ-साथ 5-5 लाख रुपए के ज़ुर्माने की सज़ा दी गई है।