इसके अलावा उन दोनों पर ही 5-5 लाख रुपए का ज़ुर्माना भी लगाया गया है। कुट्टूर को एक और आजीवन कारावास की सज़ा दी गई है, उन्हें अतरिक्त एक लाख रुपए का ज़ुर्माना चुकाना होगा। इसके साथ ही दोनों दोषियों को सात-सात साल के जेल की सज़ा दी गई है और और 50-50 हज़ार रुपए के ज़ुर्माना की सज़ा भी सुनाई गई है। ये सभी सज़ाएं साथ-साथ चलेंगी।
सिस्टर अभया को 27 मई, 1992 को एक कुँए में मृत पाया गया था।
कनाना कैथोलिक चर्च की सिस्टर अभया उस समय ग्रैजुएशन की छात्रा थीं और 'पायस द टेंथ कॉनवेंट हॉस्टल' में रहती थीं। कैथोलिक चर्च ही कॉलेज और हॉस्टल चलाता था।
49 गवाह मुकरे
सुनवाई के दौरान 49 गवाह मुकर गए। लेकिन अदालत ने स्थितिजन्य साक्ष्यों और अडक्का राजा नामक एक चोर के बयान को सबूत के रूप में स्वीकार कर लिया। राजा चोरी करने के इरादे से हॉस्टल के अंदर घुसा था, लेकिन उसने वहां पादरियों को देख लिया था।
इस मामले का सार यह है कि सिस्टर सेफी के दो पादरियों के साथ प्रेम संबंध थे, वे दोनों ही कैननाइट कैथोलिक चर्च के मुख्यालय कोट्टायम के एक कॉलेज में पढ़ाते थे। हत्या के दिन अभया परीक्षा की तैयारियों में व्यस्त थीं। उनकी सहयोगी सिस्टर शर्ली सुबह चार बजे उठीं और रसोईघर जाकर फ्रिज़ से पानी निकालने गईं। अभया जब रसोईघर गईं तो उन्होंने सिस्टर सेफी और दोनों पादरियों कुट्टूर और पुथरिक्कयल को आपत्तिजनक स्थिति में पाया। वे तीनों डर गए कि सिस्टर अभया इसका खुलासा कर देंगी। कुट्टूर ने अभया का गला घोंटा और सिस्टर सेफी ने उन पर कुल्हाड़ी से हमला किया। उन सबने मिल कर सिस्टर अभया की लाश कुँए में डाल दी।
आत्महत्या?
कॉन्वेंट की मदर सुपीरियर सिस्टर लिज़ू के बयान पर पुलिस ने अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया। लेकिन 30 जनवरी, 1993 को पुलिस ने रिपोर्ट में कहा कि सिस्टर अभया ने आत्महत्या कर ली थी।
मदर सुपीरियर सिस्टर बेनीकासिया, 65 नन और दूसरे कई लोगों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री के. करुणाकरण से मिल कर इसकी सीबीआई जाँच कराने की मांग की थी। यह मामला 1993 में केंद्रीय जाँच ब्यूरो को सौंप दिया गया।
बाद में सिस्टर अभया की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई इस नतीजे पर पहुँची कि यह आत्महत्या नहीं, हत्या का मामला है।
कुट्टूर की गिरफ़्तारी
सिस्टर अभया के पास ही रहने वाले संजू पी मैथ्यू ने बाद में सीबीआई को बताया कि उन्होंने अभया की मौत के एक दिन पहले रात को कुट्टूर को हॉस्टल में देखा था। इस आधार पर कुट्टूर, पुथरीक्कयल और सेफी को गिरफ़्तार कर लिया गया।
सीबीआई को रसोईघर से अहम सबूत मिले। फ्रिज के नीचे पानी का बोतल खुला पाया गया, दरवाजे के नीचे वेल (वह कपड़ा जिसे नन सिर पर डालती हैं), कुल्हाड़ी और बास्केट पाए गए, अभया के चप्पल अलग-अलग जगहों पर मिले।
इस कांड ने केरल के ईसाई समुदाय को हिला कर रख दिया था। इससे नन और पादरी के अनैतिक संबंधों का भंडाफोड़ तो हुआ ही, हत्या जैसे मामले का भी पर्दाफाश हो गया।
अपनी राय बतायें