देश में सबसे शिक्षित माने जाने वाले राज्य केरल के कोट्टायम स्थित एक कैथोलिक कॉन्वेंट की सिस्टर अभया की नृशंस हत्या के 28 साल और नौ महीने बाद क्रिसमस की पूर्व संध्या पर उन्हें ‘न्याय’ मिल गया। अभया की लाश अगर कॉन्वेंट परिसर के कुएँ से नहीं मिलती तो वे इस समय 47 वर्ष की होतीं और क्रिसमस के पवित्र त्यौहार पर किसी गिरजाघर में आँखें बंद किए हुए यीशु की आराधना में लीन होतीं।
'अभया’ और ‘निर्भया’ के अर्थ भी समान हैं और व्यथाएँ भी!
- विचार
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- 29 Mar, 2025

दुखद स्थिति यह भी है कि चर्च से जुड़ी अधिकांश नन्स या सिस्टर्स सब कुछ शांत भाव से स्वीकार करती रहती हैं। अगर कोई कभी विरोध करता है तो उसे अपनी लड़ाई अकेले ही लड़नी पड़ती है जैसा कि एक अन्य प्रकरण में केरल में ही पिछले दो वर्षों से हो रहा है।
सिस्टर अभया की हत्या किसी विधर्मी ने नहीं की थी! वे अगर अपनी ही जमात के दो पादरियों और एक सिस्टर को 27 मार्च 1992 की अल सुबह कॉन्वेंट के किचन में आपत्तिजनक स्थिति में देखते हुए पकड़ नहीं ली जातीं तो निश्चित ही आज जीवित होतीं।
दोनों पादरियों और आपत्तिजनक आचरण में सहभागी सिस्टर ने मिलकर अभया की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी और उनकी लाश को कुएँ में धकेल दिया। अभया तब केवल उन्नीस वर्ष की थीं और इतनी सुबह बारहवीं की परीक्षा की पढ़ाई करने बैठने के पहले पानी पीने के लिए किचन में पहुँचीं थीं।