सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (2 जनवरी) को केंद्र सरकार से रेल हादसों को रोकने के लिए उठाए गये सुरक्षात्मक उपायों की जानकारी मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि रेलवे में सुरक्षा के क्या मानक अपनाए जा रहे है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम या ‘कवच’ को लेकर जानकारी भी मांगी है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्य कांत और केवी विश्वनाथन की बेंच ने अटॉर्नी जनरल जनरल आर वेंकटरमणी से पूछा कि सुरक्षा को लेकर रेलवे ने कौन से सुरक्षा उपाय लागू किए हैं या करने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने उनसे कहा है कि वह चार हफ्ते बाद होने वाली अगली सुनवाई में इसकी विस्तृत रिपोर्ट दे।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अटॉर्नी जनरल से यह जानकारी मांगी है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया है कि वह दो दिनों के अंदर अटॉर्नी जनरल कार्यालय को अपनी याचिका की एक कॉपी सौंपे।
याचिकाकर्ता द्वारा ओडिशा के बालासोर में हुए तीन ट्रेनों के हादसे के बाद रेलवे में सुरक्षात्मक उपायों को लेकर जनहित याचिका दायर की है। इस हादसे में 292 यात्रियों की जान चली गई थी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में भारतीय रेलवे में कवच प्रोटेक्शन सिस्टम प्रणाली को तत्काल प्रभाव से लागू करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की है।
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस याचिका में कहा गया है कि हर दिन हजारों और लाखों यात्री ट्रेनों में यात्रा करते हैं। इसीलिए अधिकारियों के लिए कवच प्रणाली जैसे सुरक्षा और निवारण तंत्र के बुनियादी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करना बहुत जरूरी हो जाता है।
इसमें कहा गया है कि यह लोगों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ओडिशा के बालासोर में पिछले साल हुए रेल हादसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है। अब सुप्रीम कोर्ट रेलवे में कवच सिस्टम समेत सभी सुरक्षा उपायों का परीक्षण करेगी।
वहीं अदालत ने रेलवे से पूछा है कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए कवच सिस्टम समेत क्या सुरक्षा उपाय हैं या भविष्य में क्या उपाय प्रस्तावित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को दो दिन के अंदर याचिका की कॉपी अटॉर्नी जनरल को सौंपने के लिए कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सुनवाई की अगली तारीख पर अटॉर्नी जनरल सुप्रीम कोर्ट को रेलवे में कवच सिस्टम समेत मौजूदा सुरक्षा उपायों और प्रस्तावित उपायों की जानकारी दें।
इस याचिका में यह भी मांग भी की गई कि रेलवे में तत्काल प्रभाव से कवच सिस्टम को लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट गाइडलाइन जारी करें।
इसमें कहा गया है कि ट्रेनों के इस सुरक्षात्मक सिस्टम को अब तक देश भर में जमीनी स्तर पर लागू भी नहीं किया गया है। ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम कवच को अब तक ओडिशा के बालासोर में हादसे वाले रूट पर भी अब तक नहीं लगाया गया है।
हर कदम का वित्त से सह-संबंध होता है
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि क्या कवच प्रणाली को लागू करने के वित्तीय निहितार्थ के संबंध में कोई अध्ययन किया गया है। उन्होंने कहा कि हर कदम का वित्त से सह-संबंध होता है, क्योंकि वित्तीय बोझ अंततः यात्रियों पर डाला जाएगा। यह रिपोर्ट कहती है कि सुनवाई को दौरान वकील विशाल तिवारी की ओर से दाखिल याचिका में सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ पैनल बनाने का मांग की गई है जो बालासोर ट्रेन हादसे की जांच करे।
याचिका में शीर्ष अदालत के एक रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ आयोग का तुरंत गठन करने और रेलवे प्रणाली में मौजूदा जोखिम और सुरक्षा मापदंडों का विश्लेषण और समीक्षा करने के लिए तकनीकी सदस्यों को शामिल करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
इस याचिका में कहा गया कि पिछले कुछ दशकों से भारत ने ट्रेन की टक्कर और पटरी से उतरने की एक श्रृंखला देखी है। इससे हमारे देश के लोगों को मौतों के रूप में गंभीर पीड़ा हुई है।
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