सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भ्रामक विज्ञापन केस में पतंजलि आयुर्वेद, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ दायर अवमानना मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को व्यक्तिगत पेशी से भी छूट दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट में हुई इस सुनवाई के दौरान आईएमए के अध्यक्ष आरवी अशोकन ने बिना शर्त माफी मांगी है। उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में पतंजलि भ्रामक विज्ञापन केस से जुड़े सवालों का जवाब देते समय सुप्रीट कोर्ट पर टिप्पणी की थी।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिम हिमा कोहली ने आईएमए अध्यक्ष डॉ आरवी अशोकन से कहा कि आप मीडिया को इंटरव्यू देते समय अदालत की निंदा नहीं कर सकते हैं। आपके जैसे अनुभव वाले व्यक्ति से हमने और जिम्मेदार रवैया रखने की उम्मीद की थी।
हम अभी माफीनामा मानने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने डॉ अशोकन से कहा कि आपकी माफी के लिए हमारे पास कहने को वही है जो हमने पतंजलि के लिए कहा था।
उन्होंने कहा कि जब यह मामला कोर्ट में है, जिसमें आप खुद पार्टी हैं, आपके वकील कोर्ट से टिप्पणियां हटाने के लिए अनुरोध कर सकते थे, लेकिन आप मीडिया के पास चले गए। इससे हम बिल्कुल भी खुश नहीं है। इसके लिए हम आपको इतनी आसानी से माफ नहीं करेंगे।
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है। आपने बिल्कुल वैसा ही किया जैसा उन लोगों ने किया था। आपने कोर्ट के आदेश के बाद उसपर टिप्पणी की है। उन्होंने आईएमए अध्यक्ष से पूछा कि आपने सार्वजनिक रूप से माफी क्यों नहीं मांगी? कोर्ट ने कहा है कि इतनी आसानी से माफी नहीं दी जा सकती है।
वहीं जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने पतंजलि आयुर्वेद को मौजूदा भ्रामक विज्ञापनों को हटाने के लिए उठाए गए कदमो की जानकारी बताने के लिए हलफनामा दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने कहा है कि यह हलफनामा तीन सप्ताह में दाखिल करना होगा। इस हलफनामे में पतंजलि के उन उत्पादों को वापस लेने के लिए उठाए गए कदमों का भी जानकारी देनी होगी जिनके लाईसेंस निलंबित कर दिए गए हैं।
लॉ से जुड़ी खबरें देने वाली वेबसाइट बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक अदालत मंगलवार को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ आधुनिक चिकित्सा को अपमानित करने वाले भ्रामक विज्ञापनों को लेकर दायर मामले पर सुनवाई कर रही थी।
मंगलावर को बाबा रामदेव और बालकृष्ण की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता बलबीर सिंह कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने अनुरोध किया कि उनके मुवक्किलों को अदालत के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होने से छूट दी जाए। इसके जवाब में खंडपीठ ने कहा कि, हम उन्हें व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट देंगे। हम आदेश सुरक्षित रखेंगे। आप अपना हलफनामा दाखिल करें, इससे फर्क पड़ेगा।
अवमानना मामले में आदेश सुरक्षित रखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जनता जागरूक है, अगर उनके पास विकल्प हैं तो वे अच्छी तरह से सोच-समझकर चुनाव करते हैं। बाबा रामदेव का बहुत प्रभाव है, वह इसका सही तरीके से उपयोग करें।
इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि रामदेव ने योग के लिए बहुत अच्छा काम किया है।जस्टिस कोहली ने जवाब दिया कि योग के लिए जो किया गया है वह अच्छा है, लेकिन पतंजलि उत्पाद एक अलग मामला है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट कहती है कि इस मामले में कोर्ट का ध्यान शुरू में पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों (जिस पर बाद में न्यायालय ने अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया था), नियामक अधिकारियों की पतंजलि के खिलाफ कार्रवाई करने में विफलता, और पतंजलि और उसके प्रमोटरों द्वारा उठाए जाने वाले सुधारात्मक कदमों पर था।
हालांकि, बाद में कोर्ट का ध्यान कई बड़े मुद्दों की ओर आकर्षित हुआ, जिसमें अन्य उपभोक्ता सामान आपूर्तिकर्ताओं द्वारा भ्रामक विज्ञापनों के साथ-साथ आधुनिक चिकित्सा में अनैतिक प्रथाएं भी शामिल थीं।
बेंच ने पिछले हफ्ते चेतावनी दी थी कि अगर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरों और मशहूर हस्तियों को भ्रामक विज्ञापनों में उत्पादों या सेवाओं का समर्थन करते हुए पाया जाता है तो उन्हें समान रूप से जिम्मेदार और उत्तरदायी ठहराया जाएगा।
कोर्ट ने इस तथ्य को गंभीरता से लिया था कि पतंजलि उत्पादों के ऐसे विज्ञापन, जिन पर अब प्रतिबंध लगा दिया गया है, अभी भी कुछ ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर उपलब्ध थे। कोर्ट ने यह भी कहा था कि कंपनी को ऐसे उत्पाद बेचने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए जिसके लिए लाइसेंस निलंबित कर दिए गए हैं।
अपनी राय बतायें