योग गुरु से बिजनेस मैग्नेट बने बाबा रामदेव को जानलेवा कोविड समेत बड़ी बीमारियों के इलाज का दावा करने वाले भ्रामक विज्ञापन देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सामने बिना शर्त माफी मांगनी पड़ी। निश्चित रूप से यह पर्याप्त नहीं है क्योंकि झूठे दावों की अगुवाई करने वालों में से कई लोगों ने सौदेबाजी में अपनी जान भी गंवाई है। क्या यह गैर इरादतन हत्या की श्रेणी में नहीं आता? इसका निर्णय शायद देश की सर्वोच्च अदालत को करना है। लेकिन, निश्चित रूप से उन सभी दवाओं पर भी प्रतिबंध लगाने की जरूरत है जिनका विज्ञापन उनके भ्रामक दावों के साथ किया गया था।