सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को बाबा रामदेव की एक याचिका पर सुनवाई हुई। इस याचिका में उन्होंने अपने खिलाफ बिहार और और छत्तीसगढ़ दर्ज एफआईआर पर कार्रवाई रोकने और कोविड 19 काल में एलोपैथिक दवाओं के इस्तेमाल को लेकर उनकी टिप्पणियों पर इन राज्यों में दर्ज एफआईआर को क्लब कर दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की थी।
इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमएम सुंदरेश समेत दो जजों की खंडपीठ ने बाबा रामदेव से उन लोगों को भी केस में पार्टी बनाने का निर्देश दिया है जिन्होंने व्यक्तिगत रुप से उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। सुप्रीम कोर्ट की इस खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में अगली सुनवाई अब जुलाई में होगी।
ध्यान रहे कि बाबा रामदेव के खिलाफ आईएमए की बिहार और छत्तीसगढ़ शाखा ने 2021 में ही एफआईआर दर्ज करवाई थी। इसी पर होने वाली कार्रवाई को रोकने के लिए बाबा रामदेव सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।
इस बीच सामने आई जानकारी के मुताबिक , दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन या डीएमए ने भी इस मामले में पार्टी बनने की इजाजत मांगी है। डीएमए ने बाबा रामदेव पर आरोप लगाया है कि उन्होंने एलोपैथी का अपमान किया और लोगों को इसके खिलाफ उकसाया था।
दूसरी ओर आईएमए की याचिका पर पतंजलि, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ सुनवाई कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान भी बाबा रामदेव पर तल्ख टिप्पणियां की थी। बाबा रामदेव सुप्रीम कोर्ट से माफी भी मांग चुके हैं।
अब इस मामले में 23 अप्रैल को सुनवाई होगी। 17 अगस्त 2022 को दायर आईएमए की इस याचिका में कहा गया था कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ मिथ्या प्रचार किया। वहीं, खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कई बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया गया।
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बाबा रामदेव को नहीं मिली राहत
पतंजलि भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से अभी राहत नहीं मिली है। पिछले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अमानतुल्लाह की खंडपीठ ने आईएमए की याचिका पर सुनवाई की थी।इस दौरान बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण सुप्रीम कोर्ट में तीसरी बार पेश हुए। इस मौके पर बाबा रामदेव के वकील मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि हम एक बार फिर मांफी मांगते हैं। उन्होंने कहा था कि हम जनता के बीच भी माफी मांगने के लिए तैयार हैं।
हम दुख व्यक्त करना चाहते हैं कि जो कुछ भी हुआ वह गलत था, हमसे भूल हो गई। इसके बाद अदालत ने उन्हें एक सप्ताह का मौका दिया है। अब 23 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में उन्हें फिर पेश होना होगा।
लॉ से जुड़ी खबरों की वेबसाइट बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को व्यक्तिगत रूप से पतंजलि आयुर्वेद के प्रमोटरों, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से बातचीत की थी ताकि आधुनिक चिकित्सा को अपमानित करने वाले भ्रामक विज्ञापन चलाने के लिए उनकी माफी की वास्तविकता का पता लगाया जा सके।
इस दौरान दोनों ने कोर्ट के समक्ष कहा कि उन्हें अपने आचरण के लिए खेद है। रिपोर्ट कहती है कि जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने मंगलावर को संकेत दिया था कि ये दोनों अभी भी कार्रवाई होने के खतरे से बाहर नहीं हैं।
जस्टिस कोहली ने इस दौरान कहा था कि हम ये नहीं कह रहे कि हम आपको माफ़ कर देंगे या आपका इतिहास हम अनदेखा कर दे… हम आपकी माफी के बारे में सोचेंगे।
आदेश थे कोर्ट के तब भी इस आदेश का अवहेलना हुआ तो आप इतने मासूम नहीं हैं कि अदालत में क्या चल रहा था उससे पूरी तरह अनजान थे। बार एंड बेंच की रिपोर्ट में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने अंततः पतंजलि और उसके प्रतिनिधियों द्वारा एक हलफनामा दर्ज करने के बाद मामले को 23 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया है।
हलफनामे में कहा गया था कि वे खुद को बचाने और अपने अच्छे इरादे दिखाने के लिए स्वेच्छा से कुछ कदम उठाने का प्रस्ताव रखते हैं।इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता विपिन सांघी और बलबीर सिंह भी क्रमशः पतंजलि और बाबा रामदेव की ओर से पेश हुए थे।
सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा पतंजलि और उसके संस्थापकों द्वारा कोविड-19 टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ चलाए गए कथित बदनामी अभियान के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट में कहा गया था कि, सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाइयों में भी पतंजलि आयुर्वेद के साथ-साथ बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को भ्रामक विज्ञापनों को रोकने में विफल रहने और इसके बाद उनकी ओर से कोर्ट में पेश किए गए माफी हलफनामे पर फटकार लगाई थी।
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