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प्रतीकात्मक और फाइल फोटो

भ्रामक विज्ञापन केस में पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी

भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि आयुर्वेद ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी गलती के लिए माफी मांगी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मामले में पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर बिना शर्त माफी मांगी है। 
उन्होंने इस हलफनामे में कहा है कि उन्हें कंपनी के अपमानजनक वाक्यों वाले विज्ञापन के लिए खेद है। इस माफीनामे में उन्होंने कहा है कि पतंजलि की ओर से जारी उन विज्ञापनों का मकसद सिर्फ सामान्य बयान था लेकिन उनमें गलती से अपमानजनक वाक्य शामिल हो गये थे। 
इन विज्ञापनों का लक्ष्य लोगों को पतंजलि के उत्पाद का उपभोग कर स्वस्थ्य जीवनशैली के लिए प्रोत्साहित करना था।उन्होंने कहा कि उन विज्ञापनों को कंपनी के मीडिया विभाग ने मंजूरी दी थी जिसे नवंबर 2023 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी नहीं थी। अपने माफीनामे में उन्होंने कहा है कि कि कंपनी यह सुनिश्चित करेगी कि ऐसे इस तरह के विज्ञापन भविष्य में फिर जारी नहीं हों। 
ध्यान रहे कि इस मामले में बीते 19 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रूख दिखाते हुए 2 अप्रैल को पतंजलि आयुर्वेद के सह संस्थापक स्वामी रामदेव और पतंजलि के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। 

अब इन दोनों को इस तिथि को सुप्रीम कोर्ट में पेश होना पड़ सकता है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक पतंजलि और आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का जवाब नहीं दिया था जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें पेश होने का आदेश जारी किया था। 
जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने उनसे पूछा था कि क्यों न उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही चलाई जाए। इससे पहले 27 फरवरी की हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगा दी थी। 
इसके साथ ही कोर्ट ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट इस बात से नाराज था कि  पिछले वर्ष उसने पतंजलि को भ्रामक विज्ञापन जारी नहीं करने का निर्देश दिया था  इसके बावजूद कंपनी ने भ्रामक विज्ञापन जारी किए थे। 
लॉ से जुड़ी खबरों की वेबसाइट लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति हेमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने पतंजलि आयुर्वेद और उसके एमडी को अदालत के समक्ष पतंजलि के वकील द्वारा दिए गए आश्वासन के बावजूद विज्ञापन प्रकाशित करना जारी रखने के लिए अवमानना ​​​​नोटिस जारी किया था। 
आचार्य बालकृष्ण ने एक हलफनामा दायर कर कहा है कि विवादित विज्ञापन में केवल सामान्य बयान थे और इसमें अनजाने में आपत्तिजनक वाक्य भी शामिल हो गए थे। 
पतंजलि के प्रबंध निदेशक ने यह भी आश्वासन दिया है कि भविष्य में ऐसे विज्ञापन जारी नहीं किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि हमारा मकसद आयुर्वेदिक उत्पादों को बढ़ावा देना था, जो वैज्ञानिक अनुसंधान द्वारा समर्थित सदियों पुराने साहित्य-सामग्री पर आधारित हैं। 27 फरवरी को पारित आदेश में, सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को अपने उत्पादों का विज्ञापन या ब्रांडिंग करने से रोक दिया था। 
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क़मर वहीद नक़वी
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