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इस बार भी मेयर का चुनाव होने की उम्मीद कम है!

दो बार मेयर के चुनाव के लिए बुलाई गई दिल्ली नगर निगम की बैठक जिस तरह हंगामाखेज रही, अब तीसरी मीटिंग को लेकर भी उसी तरह की आशंकाएं जाहिर की जा रही हैं। एलजी ने दिल्ली नगर निगम की 6 फरवरी की मीटिंग करने को मंजूरी दे दी है और निगम सचिव ने एजेंडा भी जारी कर दिया है। इस एजेंडे के अनुसार सबसे पहले मेयर का चुनाव कराया जाएगा और उसके बाद नई मेयर डिप्टी मेयर और स्थायी समिति के 6 सदस्यों का चुनाव कराएंगी। एजेंडा सभी पार्षदों को भेज दिया गया है लेकिन मीटिंग में टकराव खत्म होगा, इसकी अभी तक कोई गारंटी नहीं है।
नगर निगम के सचिव द्वारा जारी एजेंडे के अनुसार पीठासीन अधिकारी सत्या शर्मा पहले मेयर का चुनाव कराएगी। आपको बता दें कि 6 जनवरी को हुई मीटिंग में पीठासीन अधिकारी ने शपथ ले ली थी लेकिन हंगामे की वजह से पार्षदों और मनोनीत सदस्यों की शपथ नहीं हो पाई थी। इसके बाद 24 जनवरी को बुलाई गई बैठक में मनोनीत सदस्यों और पार्षदों की शपथ हो गई थी लेकिन जैसे ही मेयर चुनाव के लिए तैयारी शुरू हुई तो हंगामा शुरू हो गया। इसकी वजह से मेयर का चुनाव नहीं हो पाया। इसलिए कहा तो यह कहा गया है कि अब सोमवार 6 फरवरी को होने वाली मीटिंग में शेष बची हुई प्रक्रिया को पूरा कराया जाएगा लेकिन यह प्रक्रिया पूरी होने की संभावनाएं इस बार भी बहुत कम हैं।
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पता चला है कि आम आदमी पार्टी के पार्षद इस बार चुप्पी साधकर ही बैठे रहेंगे ताकि मेयर का चुनाव हो सके। यह भी संभव है कि वे अपने मुंह पर पट्टी बांधकर आएं ताकि यह मैसेज दिया जा सके कि हंगामा करने में हमारा कोई हाथ नहीं है। 24 जनवरी की मीटिंग की तरह इस बार भी यही निर्देश जारी किया जाएगा कि कोई भी पार्षद बोले नहीं और हंगामा तो बिलकुल भी नहीं करे लेकिन मेयर चुनाव में कौन वोट डालेगा, इसकी लिस्ट को लेकर फिर टकराव पैदा हो सकता है। 24 जनवरी को भी आप के सदन के नेता मुकेश गोयल ने यह लिस्ट मांगी थी। आम आदमी पार्टी नहीं चाहती कि एल्डरमैन मेयर के चुनाव में वोट डालें। इसीलिए वे लिस्ट चाहते हैं ताकि सभी वोटरों का खुलासा हो सके। इसी मुद्दे पर फिर से टकराव की आशंका बन सकती है। हालांकि इसके बावजूद आम आदमी पार्टी के पास ही बहुमत है। उसके पास 151 सदस्य हैं जबकि बीजेपी के पास 113 पार्षद हैं। अगर दस एल्डरमैन भी बीजेपी के पक्ष में वोट डालते हैं तो बीजेपी का स्कोर 123 तक ही पहुंचता है जोकि आप से 28 कम हैं।
अब बीजेपी के पक्ष में पलड़ा तभी झुक सकता था, अगर वह आम आदमी पार्टी के कम से कम 15 पार्षदों को तोड़ ले जोकि अभी तक संभव नहीं हुआ है। कहा तो यह भी जाता है कि आम आदमी पार्टी भी बीजेपी के पार्षदों को तोड़ने की जुगाड़ में थी ताकि वह स्थाई समिति के लिए जोड़तोड़ कर सके लेकिन दोनों ही तरफ से जोड़तोड़ संभव नहीं हो पाई। चूंकि नगर निगम में दलबदल कानून लागू नहीं होता, इसलिए दोनों ही पार्टियों ने संभावनाएं तो तलाशीं लेकिन सफल नहीं हो सके। उनकी यह कोशिश सफल न होने के कारण भी एक बार फिर से 6 फरवरी की मीटिंग हंगामे में बदल सकती है।
जहां आम आदमी पार्टी अब तक इसलिए आशंकित रही है कि बीजेपी उसके कुछ पार्षदों को तोड़ सकती है, वहीं अब बीजेपी को यह आशंका है कि अगर आम आदमी पार्टी का मेयर चुना जाता है तो फिर स्थाई समिति का चुनाव लटक सकता है। इसकी वजह यह है कि बीजेपी ने दस एल्डरमैन को तीन जोन में इस तरह बांटा है कि इन जोन में भी उसका बहुमत हो गया है। स्थाई समिति में कुल 18 सदस्य होते हैं और यह सभी जानते हैं कि नगर निगम में स्थाई समिति सबसे ज्यादा पॉवरफुल होती है। नगर निगम में जितने भी पॉवरफुल और बड़े नेता हुए हैं, वे सभी स्थाई समिति के चेयरमैन बनकर ही निगम पर राज करते रहे हैं चाहे वह दीपचंद शर्मा हों, दीपचंद बंधु हों, रामबाबू शर्मा हों, शांति देसाई हों या फिर विजेंद्र गुप्ता हों। इन्हें मेयर बनने की बजाय स्थाई समिति का चेयरमैन बनना ज्यादा रास आया है क्योंकि स्थाई समिति के पास अपार अधिकार हैं और उसके हावी होने के बाद मेयर तो सिर्फ डेकोरेटिव पोस्ट बनकर ही रह जाती है। इस तरह स्थाई समिति पर कब्जा करके चुनाव हारकर भी बीजेपी ही स्थाई समिति के रास्ते नगर निगम पर काबिज हो जाएगी।
बीजेपी का चार जोन में पहले से ही बहुमत है। उल्लेखनीय है कि एल्डरमैन जोन चुनाव में वोट डाल सकते हैं और हर जोन से एक पार्षद स्थाई समिति में जाता है। सदन में से 6 सदस्य स्थाई समिति के लिए चुने जाते हैं और उनका चुनाव भी मेयर चुनाव के दिन ही होना है। इस तरह बीजेपी सदन से तीन और 7 जोन से 7 सदस्य चुनकर 18 सदस्यीय स्थाई समिति में 10 सदस्यों के साथ बहुमत प्राप्त लेगी। 
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बीजेपी को यही डर है कि जैसे ही मेयर का चुनाव खत्म होगा तो पीठासीन अधिकारी के अधिकार खत्म हो जाएंगे। उसके बाद आप की मेयर पर डिप्टी मेयर और स्थाई समिति के सदस्यों के चुनाव की जिम्मेदारी होगी। वह डिप्टी मेयर का चुनाव तो करा देंगी लेकिन स्थाई समिति के सदस्यों का चुनाव टाल दिया जाएगा। जिस तरह मेयर का चुनाव नहीं होने दिया जा रहा, उसी तरह स्थाई समिति के चुनाव को रोक दिया जाएगा। इस तरह स्थाई समिति बनेगी ही नहीं। इस तरह जो खेल बीजेपी ने खेला, वही आम आदमी पार्टी भी खेलेगी।

इस सारे टकराव को देखते हुए ही यह माना जा रहा है कि 6 फरवरी को भी मेयर का चुनाव नहीं हो पाएगा और एक बार फिर नगर निगम की मीटिंग स्थगित हो सकती है। दोनों ही पार्टियों ने अपनी रणनीति बना ली है। अब कौन उसे कैसे लागू कर पाता है, यह 6 फरवरी की मीटिंग में तय होगा। 

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दिलबर गोठी
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