बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार
जीत
बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार
जीत
हेमंत सोरेन
जेएमएम - बरहेट
जीत
गुजरात में भले ही बीजेपी को रिकॉर्ड तोड़ शानदार जीत मिली हो लेकिन इससे दिल्ली नगर निगम में बीजेपी की हार का मलाल खत्म नहीं हो जाता। गुजरात में भले ही आम आदमी पार्टी बीजेपी के प्रचंड बहुमत के आगे नेस्तनाबूद हो गई और उसके जीते हुए मात्र पांच विधायक नहीं संभल पा रहे लेकिन दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने जो दर्द दिया है, उससे पुराने जख्म फिर से हरे हो गए हैं।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता को नतीजे आने के बाद एक सप्ताह तक भी बर्दाश्त नहीं किया गया। यहां तक कि उनकी जगह नया अध्यक्ष बनाने का भी इंतजार नहीं किया गया। यह नहीं कहा गया कि आप नया अध्यक्ष बनने तक कार्यभार संभाले रखें बल्कि वीरेंद्र सचदेवा को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाकर आदेश गुप्ता को मुक्त कर दिया गया।
इससे पता चलता है कि बीजेपी को नगर निगम की हार का झटका कितने जोर से लगा है।
दिल्ली में बीजेपी ने 1993 में पहला विधानसभा चुनाव जीता था। 1998 में प्याज की महंगाई ने बीजेपी को ऐसा रूलाया कि उसके बाद वह विधानसभा में वापस नहीं लौट पाई। गुजरात में वह सत्ता से अलग नहीं हुई तो दिल्ली में सत्ता हासिल नहीं कर पाई। शीला दीक्षित ने 15 साल बीजेपी को दिल्ली की गद्दी के पास नहीं फटकने दिया तो अब अरविंद केजरीवाल दिल्ली की गद्दी पर ऐसी कुंडली मारकर बैठ गए हैं कि उन्होंने बीजेपी को नगर निगम से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
आखिर क्यों हो रहा है ऐसा? लोकसभा के चुनाव 2014 में हो या 2019 में-बीजेपी सातों सीटों को बड़े अंतर से जीतती है और पिछले चुनावों में तो आप उम्मीदवारों की जमानतें भी जब्त हो गई थीं। मगर, स्थानीय चुनावों में बीजेपी को सांप सूंघ जाता है। सिर्फ 2017 का नगर निगम चुनाव ही ऐसा चुनाव है जब बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर जीत हासिल की हो, वरना केजरीवाल पर काबू पाना उनके लिए असंभव बन रहा है। 2017 की हार का बदला अब केजरीवाल ने 2022 में ले लिया है और बीजेपी को यह डर सताने लगा है कि कहीं दिल्ली विधानसभा की तरह दिल्ली नगर निगम में भी तो उसका परमानेंट एग्जिट नहीं हो गया।
दिल्ली में अर्बन नक्सलवाद, अनारकिस्ट यानी अराजकवादी का नारा भी लगाया, हिंदू वोटों को बटोरने के लिए ‘देश के गद्दारों को....’ का उद्घोष भी किया और अब नगर निगम चुनावों में भ्रष्टाचार का भी मंत्र पढ़ा गया लेकिन फिर भी दिल्ली की जनता ने केजरीवाल में ही विश्वास व्यक्त किया।
दिल्ली में प्रदेश अध्यक्ष के रूप में बीजेपी को कोई वजनदार या दमदार नेता नहीं मिल रहा। यहां तक दो बार तो निगम पार्षदों यानी सतीश उपाध्याय और आदेश गुप्ता को अध्यक्ष बनाने का प्रयोग करना पड़ा है।
About Us । Mission Statement । Board of Directors । Editorial Board | Satya Hindi Editorial Standards
Grievance Redressal । Terms of use । Privacy Policy
अपनी राय बतायें