वो कहावत तो आपने सुनी ही होगी-प्याज और जूते दोनों ही खाने वाली! कहीं दिल्ली में बीजेपी को कुछ ऐसी ही स्थिति का सामना तो नहीं करना पड़ेगा। 7 दिसंबर को दिल्ली में नगर निगम चुनाव के नतीजे आ गए थे और दो महीने में भी दिल्ली को पहली मेयर नहीं मिल पा रही। तीन बार की कोशिश नाकाम हो चुकी है और चौथी कोशिश मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने से पहले 16 फरवरी को रोकनी पड़ी है। बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों ही इस मामले में एक-दूसरे को दोषी करार देते रहे हैं लेकिन सच्चाई यह है कि प्रचार के मामले में और सोशल मीडिया पर धारणा बनाने के मामले में बीजेपी, आम आदमी पार्टी का मुकाबला नहीं कर सकती। आम आदमी पार्टी ने अपने तर्कों से और व्यवहार से लोगों के दिमाग में यह जरूर स्थापित कर दिया है कि बीजेपी इस सारे ‘खेल’ के लिए जिम्मेदार है।