देश की राजधानी दिल्ली के कई अस्पतालों के डॉक्टर्स-नर्स और स्वास्थ्य महकमे के कर्मचारी बड़ी संख्या में कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। ऐसे में किस तरह कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी जाएगी, क्योंकि यह वायरस फ्रंट लाइन वॉरियर्स को ही चपेट में ले रहा है।
दिल्ली में अब तक 15 से ज़्यादा अस्पतालों में कोरोना वॉरियर्स इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं। मैक्स अस्पताल, बाबू जगजीवन राम अस्पताल, दिल्ली स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट, महाराजा अग्रसेन अस्पताल, लोकनायक अस्पताल, राम मनोहर लोहिया अस्पताल, सफदरजंग, एम्स, सहित कई और अस्पतालों का नाम इस सूची में शामिल है।
हालात को संभालते हुए कोरोना पॉजिटिव पाए गए स्वास्थ्य कर्मियों का इलाज शुरू किया गया है और उनके साथ काम करने वाले लोगों को क्वरंटीन किया गया है। राजधानी में अब तक 226 स्वास्थ्यकर्मी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं जबकि लगभग इतनी ही संख्या में नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ़ के सदस्यों को क्वरेंटीन करना पड़ा है।
देश भर में सबसे ज़्यादा कंटेनमेंट ज़ोन भी दिल्ली में ही हैं और इनकी संख्या 100 पहुंच चुकी है। राजधानी में कोरोना से संक्रमित व्यक्तियों का आंकड़ा 3400 से ज़्यादा हो चुका है और 56 लोगों की मौत हो चुकी है।
इसी तरह के हालात देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में हैं। मुंबई में 150 से ज़्यादा स्वास्थ्य कर्मी कोरोना वायरस की चपेट में आ गए हैं। कहा जा रहा है कि मुंबई में चीन के वुहान जैसे हालात हो सकते हैं क्योंकि मायानगरी में कोरोना संक्रमण के मामले 6 हज़ार से ज़्यादा हो गए हैं और लगभग 250 लोगों की मौत हो चुकी है। मुंबई में 3 दिनों में ही संक्रमण के 1 हज़ार मामले सामने आए हैं।
ऐसी स्थिति में जब दिल्ली और मुंबई में कोरोना संक्रमण के मामले रफ़्तार के साथ बढ़ रहे हैं। डॉक्टर्स, नर्स के कोरोना की चपेट में आने से हालात के बहुत ख़राब होने का ख़तरा है।
दिल्ली और मुंबई में सबसे बड़ी मुश्किल घनी बस्तियों वाले इलाक़े हैं। इन इलाक़ों में पुलिस-प्रशासन के लिए लॉकडाउन का पालन करवाना आसान नहीं है क्योंकि इन दोनों महानगरों से हर दिन शिकायत आती है कि लोग अपनी गलियों में घूम रहे हैं या घर के बाहर बैठकर गप लड़ा रहे हैं।
दिल्ली में जहांगीरपुरी जैसे कई इलाक़े हैं, जहां संक्रमण का ख़तरा ज्यादा है और कोरोना के मामले भी सामने आए हैं जबकि मुंबई में धारावी जैसी विशालकाय झोपड़-पट्टी राज्य सरकार की मुसीबत का कारण बनी हुई है। क्योंकि धारावी से लगभग हर दिन कोरोना संक्रमण के मामले आ रहे हैं। लेकिन इससे ज़्यादा बड़ी चिंता स्वास्थ्यकर्मियों के कोरोना संक्रमित होने से पैदा हुई है क्योंकि फ्रंट लाइन वॉरियर्स के संक्रमित होने से इस लड़ाई को जीतना तो दूर लड़ना ही बेहद मुश्किल हो जाएगा।
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