सरकार द्वारा गठित एक पैनल ने अध्ययन कर कहा है कि दिल्ली में इस महीने के आख़िर में कोरोना वायरस के मरीज़ों की संख्या 1 लाख तक पहुँच सकती है। इसके लिए अस्पतालों में 15 हज़ार अतिरिक्त बेड की ज़रूरत होगी। जुलाई के मध्य तक क़रीब 42000 अतिरिक्त बेड चाहिए होंगे।
कोरोना वायरस की स्थिति को संभालने के लिए केजरीवाल सरकार ने 2 मई को पाँच सदस्यों की कमेटी गठित की थी। इस कमेटी का काम यह देखना है कि दिल्ली के अस्पतालों में तैयारी कैसी है, स्वास्थ्य ढाँचा तैयार हो और ज़रूरत के अनुसार स्वास्थ्य सुविधाएँ विकसित की जाएँ।
कमेटी की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब वैज्ञानिक इस बात की संभावना जता रहे हैं कि कोरोना वायरस का संक्रमण जून-जुलाई में अपने शिखर पर होगा। नीति आयोग ने भी हाल में ऐसी ही संभावना जताई थी। एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने ‘एनडीटीवी’ को दिए साक्षात्कार में कहा है कि भारत में कोरोनो वायरस के मामले दो से तीन महीनों में चरम पर हो सकते हैं।
पाँच सदस्यीय कमेटी के अध्यक्ष डॉ. महेश वर्मा ने ‘एएनआई’ से कहा कि कमेटी ने अहमदाबाद, मुंबई और चेन्नई में कोरोना वायरस के रुझान का अध्ययन किया है। 'हिंदुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार, डॉ. वर्मा ने कहा, 'वर्तमान में दिल्ली में क़रीब 25,000 कोविड-19 के मामले हैं और डबलिंग रेट 14 से 15 दिन का है। इसका मतलब है कि मध्य जून तक क़रीब 50,000 मामले और महीने के अंत तक 1 लाख मामले हो जाएँगे। अब, यह मानते हुए कि इन रोगियों में से 20 से 25% को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है, दिल्ली को महीने के अंत तक 15,000 बेड और जुलाई के मध्य तक 42,000 बेड की आवश्यकता होगी।'
कमेटी ने आँकड़ों का विश्लेषण कर कहा है कि अस्पतालों में अतिरिक्त बेडों की ज़रूरत इस आधार पर बताई है कि महीने के आख़िर में क़रीब एक लाख मरीज़ हो सकते हैं। इसका मानना है कि अस्पताल में भर्ती लोगों में से क़रीब पाँच फ़ीसदी लोगों को वेंटिलेटर की ज़रूरत पड़ सकती है। बेड की व्यवस्था करने के लिए सरकार को बैंक्वेट हॉल, खुले मैदान या स्टेडियम में अस्थायी बेड बनाने पड़ सकते हैं।
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