फ़ेसबुक के सीईओ मार्क ज़करबर्ग ने दिल्ली में फ़रवरी में हुए दंगों को लेकर बीजेपी नेता कपिल मिश्रा की भड़काऊ स्पीच की ओर इशारा किया है। ज़करबर्ग ने कम्युनिटी गाइडलाइंस के तहत इसे हिंसा के लिए उकसाने वाला बताया है।
ज़करबर्ग ने अपनी कंपनी के एम्प्लॉयीज के साथ वीडियो बातचीत के दौरान कुछ बातों का जिक्र किया है। इस दौरान वह फ़ेसबुक की गाइडलाइंस का उल्लघंन करने की कुछ घटनाओं के बारे में बात कर रहे थे। इस बातचीत का एक ऑडियो सामने आया है।
ऑडियो में हालांकि ज़करबर्ग ने सीधे तौर पर कपिल मिश्रा का नाम नहीं लिया है। उन्होंने कहा, ‘भारत में ऐसे मामले सामने आए हैं, उदाहरण के लिए, जहां किसी ने कहा - अगर पुलिस इस मामले में ध्यान नहीं देती है तो हमारे समर्थक वहां पहुंचेंगे और सड़कों को खाली करा देंगे।’ ज़करबर्ग ने कहा कि यह समर्थकों को प्रोत्साहित करने जैसा बयान था और इसीलिए हमने इसे हटा दिया और यह हमारे लिए एक नज़ीर है।
याद कीजिए, कपिल मिश्रा ने फ़रवरी के महीने में जाफ़राबाद मेट्रो स्टेशन के नजदीक मौजपुर में भाषण देते हुए बिलकुल यही बात कही थी। मिश्रा ने कहा था, ‘ट्रंप के जाने तक हम शांत हैं लेकिन उसके बाद हम आपकी (पुलिस) भी नहीं सुनेंगे। ट्रंप के जाने तक आप जाफ़राबाद और चांदबाग रोड खाली खाली करा दीजिए वरना हमें रास्ते पर आना पड़ेगा।’
इस दौरान मिश्रा के साथ पुलिस अधिकारी भी खड़े थे। इससे कुछ ही दूरी पर नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में कुछ लोग धरना दे रहे थे। उस दौरान ट्रंप भारत के दौरे पर थे। दिल्ली दंगों को लेकर जब हाई कोर्ट में सुनवाई हुई थी तो अदालत ने भी मिश्रा के भाषण को सुनाने के लिए कहा था।
ज़करबर्ग का यह ऑडियो लीक हो गया है। फ़ेसबुक के एम्प्लॉयीज की ओर से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के विवादित पोस्ट को नहीं हटाने को लेकर नाराजगी जताई गई थी। ट्रंप ने हाल ही में मारे गए अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लायड की मौत के बाद शुरू हुए प्रदर्शनों को लेकर ट्वीट किया था कि जब लूट शुरू होती है तो गोलीबारी शुरू होती है। ट्रंप के इस ट्वीट को लेकर हंगामा मचा था।
अब यहां सवाल यह खड़ा होता है कि फ़ेसबुक के सीईओ का ऑडियो तो मिश्रा के बयान के भड़काऊ होने का इशारा करता है लेकिन दंगों की जांच कर रही दिल्ली पुलिस ने अब तक चार्जशीट में कपिल मिश्रा का नाम शामिल नहीं किया है। इसे लेकर लोगों में हैरानी भी है और दिल्ली की एक अदालत की इस टिप्पणी के बाद कि दिल्ली दंगों की जांच एकतरफ़ा है, बड़े स्तर पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं।
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