पर्यावरण के मुद्दों पर काम करने वाली दिशा रवि को शनिवार को जमानत नहीं मिली। दिशा को शुक्रवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने तीन दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। दिशा पर आरोप है कि उसने एक टूलकिट को तैयार करने और इसे सोशल मीडिया पर आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। पुलिस का दावा है कि इस टूलकिट के पीछे सिख अलगाववादी संगठन पोएटिक जस्टिस फ़ाउंडेशन (पीजेएफ़) का हाथ है।
अदालत ने दिशा के वकील और दिल्ली पुलिस की दलीलों को सुनने के बाद फ़ैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई के दौरान जज धर्मेंद्र राणा ने कहा कि वह इस मामले में तब तक आगे नहीं बढ़ सकते जब तक वह ख़ुद पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो जाते। अदालत दिशा की जमानत को लेकर मंगलवार को फ़ैसला सुनाएगी।
दिल्ली पुलिस की ओर से यह कहे जाने पर कि दिशा किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान अलगाववादियों के साथ मिलकर हिंसा फैलाने की साज़िश रच रही थी, जज ने कहा कि यह एक तरह की अटकलें ही हैं। जज ने ‘टूलकिट क्या है’ से लेकर कई सवाल दिल्ली पुलिस के वकील से पूछे।
जज ने दिल्ली पुलिस के वकील से पूछा, “आपने जो सबूत इकट्ठा किए हैं वे क्या हैं और इससे किस तरह दिशा और 26 जनवरी को हुई हिंसा के तार जुड़ते हैं। आपने टूलकिट में दिशा की भूमिका होने की बात कही है और कहा है कि वह अलगाववादियों के संपर्क में है।”
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दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि परिस्थिति से मिले सबूतों के नजरिये से ही इस साज़िश को देखा जा सकता है।
हैरान हुए जज
इस पर जज ने हैरान होकर पूछा, “तो आपके पास दिशा और 26 जनवरी की हिंसा को जोड़ने वाला कोई सबूत नहीं है।” न्यायाधीश ने आगे कहा कि ऐसे में आप किस तरह 26 जनवरी की हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को दिशा के साथ जोड़ सकते हैं। इस पर दिल्ली पुलिस ने कहा कि किसी साज़िश पर अमल करना और उसकी योजना बनाना दोनों अलग-अलग बातें हैं। लेकिन जज इससे संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने कहा कि क्या मुझे यह मानना चाहिए कि अभी ऐसा कोई सीधा तार आपस में नहीं जुड़ा है।
दिशा की ओर से पेश हुए वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि उनकी मुवक्किल का किसी भी अलगाववादी संगठन से कोई संपर्क नहीं है और पुलिस के पास कोई सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि पीएफ़जे के साथ हुई चैट पुलिस के पास है। उन्होंने सवाल उठाया कि इस संगठन को अभी तक बैन क्यों नहीं किया गया है।
दिशा के वकील ने आगे कहा कि इस मामले में प्रतिबंधित संगठन सिर्फ़ सिख फ़ॉर जस्टिस ही है। वकील ने फिर कहा कि दिशा पीएफ़जे के संपर्क में थी लेकिन वह प्रतिबंधित संगठन नहीं है। उन्होंने इस मामले में दिल्ली पुलिस की रणनीति पर भी सवाल उठाया।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक़, दिशा ने मुंबई की वकील निकिता जैकब और पुणे के इंजीनियर शांतनु के साथ मिलकर टूलकिट को तैयार किया था। इस टूलकिट को स्वीडन की पर्यावरणविद् ग्रेटा तनबर्ग (थनबर्ग) ने ट्वीट किया था। दिशा रवि ने अदालत को बताया था कि उसने इस टूलकिट को नहीं बनाया है और वह सिर्फ़ किसानों का समर्थन करना चाहती थी। दिशा के मुताबिक़, 3 फ़रवरी को उसने इस टूलकिट की दो लाइनों को एडिट किया था।
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