पिछले दिनों किसान आंदोलन के बीच पंजाब में स्थानीय निकायों के चुनाव संपन्न हुए। इसमें कांग्रेस पार्टी की अकाल्पनिक विजय इतनी महत्वपूर्ण नहीं थी जितनी कि भारतीय जनता पार्टी की फ़ज़ीहत के साथ बुरी तरह हुई पराजय। फ़ज़ीहत इसलिए कि कई शहरों के विभिन्न वार्ड ऐसे थे जहाँ बीजेपी को चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार भी नसीब नहीं हुआ। बीजेपी के अधिकांश प्रत्याशी ऐसे थे जिन्हें चुनाव प्रचार के दौरान जनता के भारी रोष व विरोध का सामना करना पड़ा। सात नगर निगमों में कांग्रेस को जीत हासिल हुई जबकि कई वार्डों में बीजेपी प्रत्याशी अपना खाता भी नहीं खोल सके। नतीजतन लगभग पूरे राज्य से बीजेपी का सूपड़ा साफ़ हो गया।