दिल्ली में दंगों के दौरान ऐसी कई घटनाएं हुई हैं जिनमें हिंदू और मुसलिम आगे आए और जान पर खेलकर एक-दूसरे की जान बचाई। कुछ घटनाओं में दोनों ही समुदाय के लोगों ने इस बात का दावा किया कि दंगाई स्थानीय नहीं थे। उनका कहना था कि वे लोग कई सालों से इस इलाक़े में प्यार-मुहब्बत से रहते आये हैं और उन्होंने पहले कभी दो समुदायों के बीच नफ़रत या दुश्मनी नहीं देखी थी।
दिल्ली दंगा: राहुल की मौत पर रोया शहबाज़, कहा- दोस्त नहीं परिवार थे हम
- दिल्ली
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- सत्य ब्यूरो
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- 27 Feb, 2020
दिल्ली में दंगों के दौरान कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जिनमें हिंदू और मुसलिम आगे आए और जान पर खेलकर एक-दूसरे की जान बचाई।

मुस्तफ़ाबाद में रहने वाले 21 साल के अब्दुल समद, मंगलवार को स्थानीय मसजिद में नमाज़ अदा कर रहे थे। तभी दंगाई वहां घुस आये और पत्थरों और डंडों से मसजिद और वहां मौजूद लोगों पर हमला कर दिया। जीटीबी अस्पताल में भर्ती अब्दुल समद ने न्यूज़ वेबसाइट अल जज़ीरा को बताया कि उपद्रवियों ने वहां नमाज़ अदा कर रहे लोगों को बुरी तरह पीटा और मसजिद में तोड़फोड़ की।
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