उत्तर-पूर्वी दिल्ली में तीन दिन तक दंगों का नंगा नाच चलता रहा। कई जगहों पर पुलिस हमलों में दंगाइयों का साथ देती नज़र आई। लगातार हिंसक झड़पें, पथराव और आगज़नी की ख़बरें आती रहीं। दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक ने दिल्ली पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए। इस सबके बीच मुसलमानों के मसीहा बनने वाले राहुल गाँधी और अरविंद केजरीवाल से लेकर अखिलेश यादव और मायावती तक चुप्पी साधे रहे। प्रियंका गाँधी ज़रूर दंगों के ख़िलाफ़ दिल्ली की सड़कों पर उतरीं।
दिल्ली: दंगे होते रहे, चैन की नींद सोते रहे मुसलमानों के ‘हमदर्द’
- विचार
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- 28 Feb, 2020

दिल्ली में दंगों के दौरान राहुल गाँधी से लेकर केजरीवाल और अखिलेश यादव से लेकर मायावती, सभी पूरी तरह ख़ामोश रहे। जबकि इन्हें सड़कों पर उतरना चाहिए था।
सबसे पहले बात करते हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की। दिल्ली का मुख्यमंत्री होने के नाते दिल्लीवासियों का दुख-दर्द समझने और उनके दुख में शरीक होने की पहली ज़िम्मेदारी उन्हीं की बनती है। लेकिन केजरीवाल ख़ुद असहाय नज़र आए। दिल्ली पुलिस की कमान उनके हाथ में नहीं होने की दुहाई देते हुए उन्होंने लाचारी दिखाई। हालाँकि उन्होंने कई बैठकें बुलाईं। केंद्र से दंगों को जल्द क़ाबू में करने की अपील की। सेना की तैनाती की भी मांग की। लेकिन वह आम जनता से सीधा संवाद स्थापित करते नहीं दिखे।