कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को राज्यसभा भेजे जाने की अटकलों पर अब विराम लगने का वक़्त आ गया है। कांग्रेस के आला सूत्र बताते हैं कि प्रियंका गांधी वाड्रा ने फिलहाल राज्यसभा जाने से इनकार कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक़ प्रियंका गांधी ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से साफ़ कह दिया है कि वह फिलहाल संसद में जाए बग़ैर ही उत्तर प्रदेश में काग्रेस को ज़िंदा करने के अपने मिशन को पूरा करेंगी।
राज्यों में लगी थी होड़
प्रियंका गांधी को राज्यसभा भेजने के लिए कई राज्यों की प्रदेश इकाइयों ने पेशकश की थी। कांग्रेस के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से अपने-अपने राज्यों से प्रियंका गांधी को राज्यसभा भेजने की पेशकश की थी।
55 सीटों के लिए होने हैं चुनाव
ग़ौरतलब है कि राज्य सभा के एक तिहाई सदस्य हर दो साल बाद रिटायर होते हैं। इसी महीने 26 मार्च को राज्यसभा की 55 सीटों के लिए द्विवार्षिक चुनाव होने हैं। इसके लिए नामांकन की आख़िरी तारीख़ 13 मार्च है। कांग्रेस को 55 में 12 से 13 सीटें मिलनी तय हैं। विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और छत्तीसगढ़ से कांग्रेस को दो-दो सीटें मिल जाएंगी। महाराष्ट्र और हरियाणा से एक-एक सीट मिलना पक्का है। इस तरह इन राज्यों से कांग्रेस को 10 सीटें मिलना तय है। इनके अलावा पार्टी सहयोगी दलों की मदद से बंगाल, बिहार, तमिलनाडु के साथ-साथ झारखंड से भी एक सीट मिलने की उम्मीद कर रही है।
कांग्रेस आलाकमान राज्यसभा में जाने वाले नेताओं के नामों पर मुहर लगाने की क़वायद में जुटा है। एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता के मुताबिक़ पुराने नेताओं के साथ कांग्रेस के कुछ नए तेज-तर्रार चेहरों को भी राज्यसभा में लाया जा सकता है। आलाकमान के सामने दोनों खेमों के बीच संतुलन बनाते हुए नाम तय करने की चुनौती है।
दमदार युवाओं को मिलेगा मौक़ा
संसद के दोनों सदनों में कांग्रेस के पास तर्कसंगत और असरदार तरीक़े से पार्टी का पक्ष रखने वालों की कमी है। ख़ासतौर पर बहस के दौरान पार्टी को इसकी कमी खलती है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक़, राज्यसभा के चुनाव में कुछ मुखर, वाकपटु और दमदार चेहरों को तरजीह दी जाएगी। लोकसभा में भी कांग्रेस के पास अच्छे वक्ता नहीं हैं। इसलिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस के दौरान वह कमज़ोर पड़ जाती है। फिलहाल कांग्रेस लोकसभा में तो इस स्थिति को बदल नहीं सकती। लिहाज़ा वह राज्यसभा में स्थिति बदलने की पुरज़ोर कोशिश करेगी।
दिग्विजय, खड़गे, शिंदे के आसार!
वरिष्ठ नेताओं में पार्टी के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को राज्यसभा में लगातार दूसरी बार भेजे जाने के पूरे आसार हैं। पिछली लोकसभा में पार्टी के नेता रहे मल्लिकार्जुन खड़गे अब राज्यसभा के रास्ते संसद में अपना मौजूदगी चाहते हैं। वह पिछला लोकसभा चुनाव हार गए थे। यूपीए सरकार में गृह मंत्री रहे सुशील कुमार शिंदे जैसे दिग्गज भी अपनी आख़िरी सियासी पारी राज्यसभा में खेलने के लिए ज़ोर लगा रहे हैं। खड़गे और शिंदे दोनों ही दस जनपथ के बेहद क़रीबी माने जाते हैं। लिहाज़ा दोनों की ही दावेदारी काफ़ी मज़बूत है।
महाराष्ट्र की एक सीट पर जोरदार जंग
महाराष्ट्र से कांग्रेस की एक सीट पक्की है। जबकि सहयोगी दलों की मदद से वह दूसरी सीट भी झटक सकती है। पहली सीट के लिए कांग्रेस किसी युवा नेता को मौक़ा देना चाहती है। इसके लिए मिलिंद देवड़ा और राजीव साटव दावेदारी जता रहे हैं। वहीं, शिवसेना और एनसीपी की मदद से मल्लिकार्जुन खड़गे दूसरी सीट पर अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं। शिंदे भी इसी दूसरी सीट के लिए ज़ोर लगा रहे हैं। खड़गे महाराष्ट्र के प्रभारी महासचिव हैं। एनसीपी और शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनवाने में उनकी भी अहम भूमिका रही है। लिहाज़ा शिंदे के मुक़ाबले उनका दावा ज़्यादा मज़बूत माना जा रहा है।
सिंधिया का जाना लगभग तय
मध्य प्रदेश की दो में से एक सीट पर दिग्विजय सिंह को राज्यसभा भेजा जाना लगभग तय माना जा रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया दूसरी सीट पर मज़बूत दावेदार हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ और वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के साथ चल रही सियासी खींचतान सिंधिया के लिए चुनौती ज़रूर है। सिंधिया कई बार नाराज़गी भी जता चुके हैं। सिंधिया पिछला लोकसभा चुनाव हार गए थे। साल 2018 में वह राज्य के मुख्यमंत्री पद के भी प्रबल दावेदार थे। उन्हें पार्टी के युवा नेताओं में सबसे तेज़-तर्रार माना जाता है।
सुरजेवाला भी हैं दावेदार
छत्तीसगढ़ की दो सीटों के लिए कई दावेदार हैं। ज़्यादातर बाहरी हैं। पहले भूपेश बघेल प्रियंका गांधी वाड्रा को राज्यसभा भेजना चाहते थे। प्रियंका के इनकार के बाद पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला यहां से अपनी उम्मीद लगाए बैठे हैं। राहुल गांधी के सबसे मज़बूत और भरोसेमंद सिपहसालार होने के नाते उनकी दावेदारी काफ़ी मज़बूत मानी जा रही है। वहीं, आंध्र प्रदेश से रिटायर हो रहे सदस्य सुब्बीरामी रेड्डी और के.वी.पी. रामचंद्र राव की भी नज़रें छत्तीसगढ़ की सीट पर हैं।
गुजरात की दो सीटों के लिए भी ज़बर्दस्त मारामारी है। पार्टी के दिग्गज नेता भरत सिंह सोलंकी, बिहार व दिल्ली के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल, राज्य के वरिष्ठ नेता सागर रायका और कांग्रेस महासचिव दीपक बाबरिया भी ज़ोर लगा रहे हैं। पार्टी आलाकमान के सामने इनके बीच फ़ैसला करने की चुनौती है।
बिहार और झारखंड में कई दावेदार
बिहार और झारखंड की एक-एक सीट के लिए जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह, राजीव शुक्ला सहित कई अन्य नेता अपनी संभावनाओं का रास्ता बनाने की कोशिश कर रहे हैं। आरपीएन सिंह झारखंड के प्रभारी हैं। उन्हीं के प्रभारी रहते झारखंड में कांग्रेस ने अपने सहयोगी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ सत्ता में वापसी की है।
सैलजा को फिर मिल सकता है मौक़ा
हरियाणा में कांग्रेस को एक सीट मिलना लगभग तय माना जा रहा है। लग रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा को ही पार्टी आलाकमान दोबारा मौक़ा देगा। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और रणदीप सुरजेवाला भी इस सीट से दावेदार हैं। लेकिन शैलजा की सोनिया गांधी से नज़दीकी के चलते उनकी दाल गलना मुश्किल है।
कांग्रेस अपने सहयोगी दलों के साथ तालमेल करके पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु से भी एक-एक सीट मिलने की उम्मीद कर रही है। पश्चिम बंगाल में अगर वामदलों के बीच आपसी सहमति बनी तो कांग्रेस बंगाल की एक सीट सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी के लिए छोड़ सकती है। वहीं तमिलनाडु की एक सीट पर उम्मीदवार का फ़ैसला द्रमुक प्रमुख स्टालिन से चर्चा के बाद होगा।
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