दिल्ली के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश के बाद प्रदूषण से कुछ राहत मिली है। ऐसी राहत के लिए सरकार आर्टिफिशियल रेन यानी कृत्रिम बारिश के लिए योजना बना रही थी। इस महीने की शुरुआत से ही दिल्ली में ख़राब हवा ने जीना मुहाल कर दिया है। प्रदूषण की वजह से जन-जीवन प्रभावित हुआ है। पहले तो प्राथमिक स्कूलों को बंद किया गया था, लेकिन अब तो स्कूलों में शीतकालीन छुट्टियाँ ही काफी पहले ही कर दी गई हैं। वाहनों पर तो दिल्ली में तरह-तरह की पाबंदियाँ हैं ही। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में प्रदूषण से जुड़े मामले में आज ही यानी शुक्रवार को ऑड-इवन को लेकर सुनवाई है।
बहरहाल, रात भर बारिश जारी रहने के बाद दिल्ली की हवा में प्रदूषक तत्व कम हो गए। जहरीली धुंध साफ हो गई और हवा की गुणवत्ता में मामूली सुधार हुआ। मौसम विभाग को उम्मीद है कि रविवार को दिवाली से पहले प्रदूषण में और कमी आएगी। आज सुबह 7 बजे तक, दिल्ली के आईटीओ में एक्यूआई 464, अशोक विहार में 462 और आरके पुरम में 461 दर्ज किया गया। यह गुरुवार से कम है।
आंकड़ों से पता चलता है कि राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के इलाकों में सुबह 4 बजे के बाद प्रदूषक तत्व- पीएम2.5 और पीएम10 के स्तर में बड़ी गिरावट देखी गई।
पीएम2.5 के पैमाने पर हवा की गुणवत्ता मापी जाती है। पीएम2.5 प्रदूषण के प्रमुख कारकों में से एक है। पीएम2.5 का एक्यूआई से सीधा संबंध है। एक्यूआई हवा में मौजूद 'पीएम 2.5', 'पीएम 10', सल्फ़र डाई ऑक्साइड और अन्य प्रदूषण के कणों का पता चलता है। पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर वातावरण में मौजूद बहुत छोटे कण होते हैं जिन्हें आप साधारण आँखों से नहीं देख सकते। 'पीएम10' मोटे कण होते हैं। लेकिन स्वास्थ्य के लिए ये बेहद ख़तरनाक होते हैं। कई बार तो ये कण जानलेवा भी साबित होते हैं।
दिल्ली सरकार ने एक दिन पहले ही हलफनामा देकर सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वाहनों के उत्सर्जन को रोकने के लिए उसकी सम-विषम योजना से सड़क पर भीड़भाड़ कम हुई है।
दिल्ली सरकार ने एक वैज्ञानिक अध्ययन का हवाला दिया और कहा कि ऑड-ईवन योजना का सकारात्मक प्रभाव पड़ा क्योंकि इससे सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल में वृद्धि हुई, साथ ही ईंधन की खपत में 15 प्रतिशत की गिरावट आई।
अदालत के इस सवाल पर कि दिल्ली सरकार ने गैर-दिल्ली पंजीकृत टैक्सियों पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया, अरविंद केजरीवाल सरकार ने कहा कि पूर्ण प्रतिबंध संभव नहीं है। हालाँकि, ईंधन के प्रकार और संख्या के आधार पर प्रतिबंधों पर विचार किया जा सकता है।
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