करीब एक महीने के राजनीतिक हो-हल्ले के बाद दिल्ली नगर निगम के चुनावों के प्रचार का शोर थम गया है। अब चार दिसंबर को वोटिंग और उसके बाद 7 दिसंबर को नतीजे आने के बाद यह शोर फिर जोर पकड़ेगा। फिर से विश्लेषण होंगे कि मुफ्त की राजनीति जनता के दिमाग पर हावी रही या फिर मोदी जी का जादू चल गया। दिल्ली में कूड़े के ढेर के हल्ले को जनता ने प्रमुखता दी या फिर आम आदमी पार्टी पर किए गए भ्रष्टाचार के हमले ज्यादा कारगर साबित हुए।