दिल्ली सरकार के अस्पताल और कुछ निजी अस्पताल सिर्फ़ दिल्ली वालों के लिए ही होंगी। यानी सिर्फ़ दिल्ली के कोरोना मरीज़ ही उन अस्पतालों में इलाज करा सकेंगे। राज्य में बेड की उपलब्धता को लेकर विवाद के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसकी घोषणा की है। इसके साथ ही सरकार ने दिल्ली से दूसरे राज्यों की लगने वाली सीमाएँ भी सोमवार से खोलने की बात कही है। माना जाता है कि सरकार ने इन सीमाओं को इसलिए सील कर दिया था ताकि दूसरे राज्य के मरीज़ अस्पताल में नहीं आ पाएँ। दिल्ली सरकार की यह घोषणा ऐसे वक़्त पर हुई है जब दिल्ली सहित पूरे देश भर में कोरोना संक्रमण के जून और जुलाई में काफ़ी तेज़ी से बढ़ने के आसार हैं। हाल के दिनों में ऐसी बढ़ोतरी दिखने भी लगी है।
सरकार द्वारा गठित एक पैनल ने अध्ययन कर कहा है कि दिल्ली में इस महीने के आख़िर में कोरोना वायरस के मरीज़ों की संख्या 1 लाख तक पहुँच सकती है। इसके लिए अस्पतालों में 15 हज़ार अतिरिक्त बेड की ज़रूरत होगी। जुलाई के मध्य तक क़रीब 42000 अतिरिक्त बेड चाहिए होंगे। कोरोना वायरस की स्थिति को संभालने के लिए केजरीवाल सरकार ने 2 मई को पाँच सदस्यों की कमेटी गठित की थी। इस कमेटी का काम यह देखना है कि दिल्ली के अस्पतालों में तैयारी कैसी है, स्वास्थ्य ढाँचा तैयार हो और ज़रूरत के अनुसार स्वास्थ्य सुविधाएँ विकसित की जाएँ।
पाँच सदस्यीय कमेटी के अध्यक्ष डॉ. महेश वर्मा ने कहा है, 'वर्तमान में दिल्ली में क़रीब 25,000 कोविड-19 के मामले हैं और डबलिंग रेट 14 से 15 दिन का है। इसका मतलब है कि मध्य जून तक क़रीब 50,000 मामले और महीने के अंत तक 1 लाख मामले हो जाएँगे। अब, यह मानते हुए कि इन रोगियों में से 20 से 25% को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है, दिल्ली को महीने के अंत तक 15,000 बेड और जुलाई के मध्य तक 42,000 बेड की आवश्यकता होगी।'
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस कमेटी के आकलन का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा, 'अभी के लिए हमने तय किया है कि दिल्ली सरकार के तहत 10,000 बेड यहाँ के निवासियों के लिए रखे जाएँगे। केंद्र सरकार के तहत आने वाले बेड का इस्तेमाल सभी कर सकते हैं। विशेष उपचार को कवर करने वाले निजी अस्पतालों को सभी के लिए खोल दिया जाएगा।'
केजरीवाल ने कहा कि यह निर्णय डॉक्टरों की एक विशेष पाँच-सदस्यीय समिति की सलाह पर लिया गया। समिति ने अनुमान लगाया है कि जून के अंत तक दिल्ली को 15,000 बिस्तरों की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा, 'उनका मानना है कि वर्तमान में हमारे पास जो 9,000 बेड हैं, यदि दूसरे राज्यों के लोगों को भर्ती लेना शुरू कर दिया तो ये तीन दिनों में बेड भर जाएँगे।'
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