दिल्ली में फिर बखेड़ा खड़ा हो गया है। एक बार फिर दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने केंद्र सरकार के सरकार के ख़िलाफ़ तलवारें निकाल ली हैं। 2015 में 67 और 2020 में 62 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी को ऐसा लग रहा है कि इतना प्रचंड बहुमत भी उसके लिए काफी नहीं है। उसे लग रहा है कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बैंच ने जो फ़ैसला दिया था, उससे भी ऊपर अब केंद्र सरकार नए फ़ैसले कर रही है ताकि आम आदमी पार्टी इतना प्रचंड बहुमत होने के बाद भी दिल्ली में जो चाहे, वह न कर सके।
केजरीवाल के पर कतरने की तैयारी
- दिल्ली
- |
- |
- 16 Mar, 2021

2015 में 67 और 2020 में 62 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी को ऐसा लग रहा है कि इतना प्रचंड बहुमत भी उसके लिए काफी नहीं है। उसे लग रहा है कि केंद्र सरकार नए फ़ैसले कर रही है ताकि आम आदमी पार्टी इतना प्रचंड बहुमत होने के बाद भी दिल्ली में जो चाहे, वह न कर सके।
दिल्ली में 1993 में विधानसभा का गठन हुआ था। उससे पहले दिल्ली में स्थानीय प्रशासन चलाने के लिए महानगर परिषद हुआ करती थी। राजीव गांधी के जमाने में यह तय हुआ था कि दिल्ली को नया ढाँचा दिया जाए ताकि दिल्ली को बहुत सारी एजेंसियों के जंजाल से मुक्त किया जाए। सरकारिया-बालाकृष्णन कमेटी की रिपोर्ट के बाद दिल्ली एडमिनिस्ट्रेशन एक्ट की जगह आखिर दिल्ली के लिए गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली एक्ट 1991 बना।