आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने हाल में घोषणा की थी दिल्ली की महिलाओं को 2100 रुपए महीना दिए जाएंगे।
— Lutyens Media (@LutyensMediaIN) December 25, 2024
दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग ने अखबार में विज्ञापन जारी करके स्पष्ट किया है कि-“ऐसी कोई योजना नहीं है, रजिस्ट्रेशन के नाम पर किसी को भी अपने कागज़ात न दें।” pic.twitter.com/AdMPxlHxVL
अखबारों में मंगलवार को प्रकाशित एक विज्ञापन पर सभी का ध्यान गया। एक सार्वजनिक सूचना में, दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि उसके पास "ऐसी कोई कथित संजीवनी योजना अस्तित्व में नहीं है।" हालांकि इससे पहले विभाग ने संजीवनी योजना के लिए सत्तारूढ़ आप के पंजीकरण अभियान को हरी झंडी दिखा दी थी, जो दिल्ली के 60 वर्ष से अधिक आयु के निवासियों को दिल्ली के प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज प्रदान करने की योजना है। इसके साथ ही महिला एवं बाल विकास विभाग ने महिला सम्मान योजना से भी इनकार कर दिया है, जिसमें राजधानी में महिलाओं को प्रति माह 2,100 रुपये देने का वादा किया गया है। ऐसी योजनाओं को फ्रीबीज़ भी कहा जाता है। यह घटनाक्रम बता रहा है कि केंद्र सरकार किसी भी कीमत पर दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में आप का रास्ता रोकना चाहती है।
Delhi's own Santa delivering gifts year-round ✨ #MerryChristmas pic.twitter.com/km2IOdAPoQ
— AAP (@AamAadmiParty) December 25, 2024
यह मुख्यमंत्री आतिशी और पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल समेत आप नेताओं द्वारा कई क्षेत्रों का दौरा करने और संजीवनी योजना और महिला सम्मान योजना के लिए घर-घर पंजीकरण शुरू करने के बाद आया है। AAP ने सांता क्लॉज़ अवतार में अरविंद केजरीवाल के साथ एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विज्ञापन भी निकाला है। इसके बाद यह घटनाक्रम सामने आ गया। हालांकि एमपी विधानसभा चुनाव से लेकर हरियाणा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र में भाजपा सरकारों ने लाडली बहना जैसी योजनाएं लान्च की हैं। झारखंड विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन की सरकार ने भी ऐसी ही योजना जारी की थी। लेकिन उन राज्यों में वहां की सरकारों को इस तरह के हालात का सामना नहीं करना पड़ा।
विभाग ने अपनी सार्वजनिक सूचना में कहा- "अगर कोई व्यक्ति/संस्था आपको इस गैर-मौजूद योजना के तहत मुफ्त इलाज का लाभ प्रदान करने या इस संबंध में कुछ "स्वास्थ्य/संजीवनी योजना कार्ड प्रदान करने के वादे के साथ आपसे मिलने आती है, तो आपको सलाह दी जाती है: (1) ) कथित गैर-मौजूद "संजीवनी योजना" के तहत मुफ्त इलाज के किसी भी वादे पर विश्वास न करें (2) योजना के तहत लाभ प्रदान करने का दावा करने वाले किसी भी व्यक्ति को कोई व्यक्तिगत विवरण न दें (3) किसी भी दस्तावेज़ पर अनजाने में अपने हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान न लगाएं।"
विभाग ने कहा है कि वह ऐसी "फ्रॉड गतिविधियों" की वजह से किसी भी देनदारी या धोखाधड़ी के लिए ज़िम्मेदार नहीं होगा। महिला एवं बाल विकास विभाग ने एक नोटिस में कहा कि महिला सम्मान योजना नामक कोई योजना अधिसूचित नहीं की गयी है। उसने कहा कि "जब भी ऐसी योजना अधिसूचित की जाएगी, महिला एवं बाल विकास विभाग (डब्ल्यूसीडी), दिल्ली सरकार, पात्र व्यक्तियों के लिए अनुमोदित दिशानिर्देशों के अनुसार आवेदन ऑनलाइन जमा करने के लिए एक डिजिटल पोर्टल लॉन्च करेगा। पात्रता की शर्तें और तौर-तरीके होंगे। ऐसा होने पर विभाग द्वारा स्पष्ट रूप से सूचित किया जाएगा। इस बात पर जोर दिया गया है कि चूंकि ऐसी कोई योजना मौजूद नहीं है, इसलिए इस गैर-मौजूद योजना के तहत पंजीकरण के लिए भौतिक फॉर्म/आवेदन का सवाल ही नहीं उठता है। इसके नाम पर फॉर्म या सूचनाएं एकत्रित करना योजना "कपटपूर्ण और बिना किसी अधिकार के" है। विभाग ने चेतावनी दी है कि सार्वजनिक डोमेन में व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से लोग साइबर अपराध का शिकार हो सकते हैं।
नोटिस के बाद, केजरीवाल ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, "महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना ने उन्हें परेशान कर दिया है। अगले कुछ दिनों के भीतर, वे आतिशी जी को एक फर्जी मामले में गिरफ्तार करने की योजना बना रहे हैं। उससे पहले, AAP के वरिष्ठ नेताओं पर छापे मारे जाएंगे।" हालांकि यह इतना आसान भी नहीं होगा,क्योंकि इससे दिल्ली के मतदाताओं की हमदर्दी आप के प्रति जाग सकती है।
महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना से ये लोग बुरी तरह से बौखला गए हैं।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) December 25, 2024
अगले कुछ दिनों में फ़र्ज़ी केस बनाकर आतिशी जी को गिरफ्तार करने का इन्होंने प्लान बनाया है
उसके पहले “आप” के सीनियर नेताओं पर रेड की जायेंगी
आज 12 बजे इस पर प्रेस कांफ्रेंस करूँगा।
यह आदेश दिल्ली की चुनी हुई सरकार और केंद्र के बीच सत्ता संघर्ष की पृष्ठभूमि में सामने आया है। दिल्ली के सभी विभागों के प्रमुख सचिव केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त मुख्य सचिव को रिपोर्ट करते हैं। वास्तव में इसका मतलब यह है कि आप सरकार का दिल्ली के अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं है, यह मुद्दा उसने राष्ट्रीय राजधानी में अपने 10 साल के शासन में बार-बार उठाया है। यह मुद्दा आज भी राजनीतिक बहस के केंद्र में है कि जब दिल्ली सरकार के पास कोई अधिकार ही नहीं है तो फिर वहां चुनाव का ही क्या फायदा।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल फैसला सुनाया था कि दिल्ली सरकार राजधानी में सेवाओं को नियंत्रित नहीं करेगी, लेकिन केंद्र सरकार इसे पलटने के लिए एक अध्यादेश और फिर एक अधिनियम लाई। इस अधिनियम ने राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण की स्थापना की, जिसमें मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव और प्रमुख गृह सचिव शामिल थे। यह प्राधिकरण अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग और अनुशासनात्मक मामलों पर दिल्ली के उपराज्यपाल को सिफारिशें करता है। मुख्य सचिव और प्रधान गृह सचिव केंद्र द्वारा नियुक्त व्यक्ति हैं और वे आसानी से हर फैसला मुख्यमंत्री को दरकिनार करके ले सकते हैं।
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